उत्तर प्रदेश और बिहार की 5 सीटों पर उपचुनाव के बाद आज नतीजे की घड़ी है. 11 मार्च को इन 5 सीटों पर वोटिंग हुई थी और आज सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती जारी है. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की साख दांव पर है. पढ़ें बुधवार सुबह की बड़ी खबरें.
1- मतगणना LIVE: शुरुआती रुझानों में गोरखपुर-फूलपुर में BJP आगे, अररिया में RJD
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर, फूलपुर और बिहार की अररिया समेत दो विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है. कुछ ही देर में शुरुआती रुझान आने भी शुरू हो जाएंगे. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की साख दांव पर है. वहीं बिहार में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर सभी की निगाहें हैं. सभी सीटों पर 11 मार्च को वोट डाले गए थे. रिजल्ट से जुड़े सारे अपडेट्स यहां पढ़ें...
2- गोरखपुर नतीजे LIVE: क्या योगी का किला भेद पाएंगे सपा-बसपा?
योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के चलते खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के बाद आज नतीजे आ रहे हैं. 11 मार्च को हुई वोटिंग में यहां करीब 47 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी बनाम सपा-बसपा गठबंधन का माना जा रहा है.
3-फूलपुर नतीजे LIVE: बचेगी मौर्य की प्रतिष्ठा या सपा की होगी वापसी?
फूलपुर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव को 2019 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. बीजेपी से कौशलेंद्र पटेल, बसपा समर्थित सपा प्रत्याशी नागेंद्र पटेल, कांग्रेस के मनीष मिश्रा और निर्दलीय अतीक अहमद के बीच मुकाबला माना जा रहा है.बता दें कि फूलपुर उपचुनाव के लिए 37.4 फीसदी मतदान हुआ है. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में 50.2 फीसदी मतदान हुआ था. इस तरह इस बार 12.4 फीसदी वोटिंग कम हुई है.
4- अररिया में चलेगा नीतीश का जादू या तेजस्वी का नेतृत्व पड़ेगा भारी?
बिहार की अररिया लोकसभा सीट हुए उपचुनाव के बाद शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं. यहां 11 मार्च को मतदान हुआ था. शुरुआती नतीजों में आरजेडी उम्मीदवार सरफराज आलम आगे चल रहे हैं. बिहार में सत्तारूढ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन तथा विपक्षी राजद-कांग्रेस गठबंधन अररिया लोकसभा सीटों पर और दो विधानसभा क्षेत्र में आमने सामने हैं.
5- क्या 25 साल पुराना इतिहास दोहरा पाएंगे अखिलेश-मायावती?
2019 चुनाव से पहले फूलपुर और गोरखुपर के उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. बीजेपी को मात देने के लिए मायावती ने 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोनों सीटों पर सपा उम्मीदवार को समर्थन कर रही है. सपा-बसपा के गठबंधन को 2019 से पहले इसे लिटमस टेस्ट के तौर पर भी देखा जा रहा है. इसी चुनाव के बाद ही अखिलेश यादव और मायावती के साथ चलने की बुनियाद पड़ेगी. वैसे ही जैसे 1993 में मुलायम सिंह यादव और बसपा के संस्थापक कांशीराम ने साथ आकर बीजेपी को धूल चटाया था.