सरकार ने मंगलवार को माना कि राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में बीते पांच साल के दौरान करीब 8200 बच्चों की मौत हुई है और इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक पत्र अस्पताल को भेजा है.
राज्यसभा को मंगलवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बताया कि पिछले पांच साल में सफरदरजंग अस्पताल के बाल रोग विज्ञान विभाग में कुल 57637 बच्चे भरती किए गए.
इनमें से 5777 बच्चों की मौत हो गई जिनमें अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों से अत्यंत गंभीर अवस्था में लाए गए बच्चे भी शामिल थे. आजाद ने मोतीलाल वोरा के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सफदरजंग अस्पताल में 123759 नवजात शिशुओं में से केवल 3298 की ही मौत हुई. यह आंकड़ा सफरदरजंग अस्पताल में हुए कुल प्रसवों का 2.6 फीसदी है.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बीते पांच साल में अपने यहां 4391 बच्चों की मौत हुई है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि डॉ हेडगेवार आरोग्य संस्थान में अप्रैल 2011 में सघन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) शुरू की गई थी और संस्थान में अलग से बाल रोग विज्ञान आईसीयू नहीं है.
वहां अप्रैल 2011 से जनवरी 2013 तक भरती किए गए कुल 445 रोगियों में से आईसीयू में छह बच्चों सहित 157 मरीजों की मौत हुई. उन्होंने रशीद मसूद के एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि जनवरी 2012 से अभी तक दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से छह संकाय सदस्यों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है.