देश की प्रमुख जांच एजेंसी एनआईए ने समझौता ब्लास्ट के आरोपी स्वामी असीमानंद की जमानत को चुनौती नहीं देने का फैसला किया है. लोकसभा में गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने बयान जारी करते हुए कहा कि एनआईए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से आरोपी को मिली जमानत को चुनौती नहीं देगी.
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी के सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा, 'पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 28 अगस्त 2014 एक आदेश पारित कर स्वामी असीमानंद को समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में सशर्त जमानत दे दी थी. हालांकि प्रमाणिक कॉपी के मुताबिक कोर्ट ने यह ऑर्डर एक मई 2015 को जारी किया था. एनआईए इस मामले में इस बात की जांच कर रही थी कि क्या हाई कोर्ट की बेल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए. जांच के बाद एनआईए ने फैसला किया है कि हाई कोर्ट द्वारा दी गई बेल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जाएगी क्योंकि उसका कोई औचित्य नहीं है.'
अभी जेल में हैं असीमानंद
गौरतलब है कि असीमानंद को पिछले साल 28 अगस्त को जमानत मिली थी. असीमानंद के वकील बीजेपी के लीगल सेल के हेड सत्यपाल जैन थे. हालांकि, असीमानंद अभी जेल में ही हैं क्योंकि अजमेर और मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में उन्हें जमानत नहीं मिली है. इन मामलों में भी असीमानंद अहम आरोपी हैं. पिछले महीने उन्हें हाई कोर्ट ने 10 दिनों का पेरोल दिया था. यह पेरोल एनआईए की सहमति से मिला था. असीमानंद ने कहा था कि उनकी मां बीमार हैं और उन्हें देखने के लिए कोलकाता जाना है.
एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि 12 दिसंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए के एक और आतंकी केस में जयंत कुमार घोष को जमानत दी थी. इसका आधार यह था कि वह जांच के दौरान पांच साल जेल में रहा था. एनआईए का कहना है कि असीमानंद का केस भी बिल्कुल वैसा ही है. असीमानंद 2010 से जेल में हैं और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट की जांच खत्म नहीं हुई है. इसी आधार पर हाई कोर्ट ने असीमानंद को भी जमानत दी है.