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निर्भया के दोषियों को फिर मिली दया याचिका की मोहलत, जानिए क्या हैं विकल्प

सुप्रीम कोर्ट में अक्षय की रिव्यू पिटिशन खारिज होने और पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी पर फैसला 7 जनवरी तक टलने के बाद आखिर अब क्या विकल्प बचे हैं. जानिए निर्भया के गुनहगार अब फांसी से बचने के लिए क्या कानूनी विकल्प अपना सकते हैं.

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निर्भया गैंगरेप केस के दोषी
निर्भया गैंगरेप केस के दोषी

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  • निर्भया केस में दोषी अक्षय की याचिका खारिज
  • कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को अप्रासंगिक बताया
  • पटियाला हाउस कोर्ट में 7 जनवरी तक सुनवाई टली

निर्भया गैंगरेप के गुनाहगार अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्भया केस में जांच और ट्रायल बिल्कुल सही हुआ. दोषियों ने इस पर सवाल उठाए थे. इस मामले में सुनवाई के दौरान अक्षय के वकील ने निर्भया के दोस्त के कथित खुलासे का हवाला दिया था. कोर्ट ने इसे अप्रासंगिक बताया.

सुप्रीम कोर्ट में अक्षय की रिव्यू पिटिशन खारिज होने और पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी पर फैसला 7 जनवरी तक टलने के बाद आखिर अब क्या विकल्प बचे हैं. जानिए निर्भया के गुनहगार अब फांसी से बचने के लिए क्या कानूनी विकल्प अपना सकते हैं.

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निर्भया कांड के मुजरिमों को तिहाड़ जेल प्रशासन ने बुधवार रात को एक बार फिर अंतिम नोटिस थमा दिया है. नोटिस में कहा गया है कि वह अगर चाहें तो अपनी मौत की सजा से बचने के लिए एक सप्ताह के अंदर राष्ट्रपति के यहां माफी की दरख्वास्त दे सकते हैं.

तिहाड़ जेल की ओर से जिन मुजरिमों को ये नोटिस थमाए गए, उनका नाम मुकेश, अक्षय कुमार सिंह, पवन कुमार गुप्ता और विनय हैं. निर्भया केस के दोषी पवन गुप्ता को चंद दिन पहले ही मंडोली जेल से तिहाड़ जेल में लाकर कैद किया गया है, जबकि अक्षय कुमार सिंह, मुकेश और विनय पहले से ही तिहाड़ की अलग-अलग जेलों में बंद हैं.

क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का मौका

दोषियों को मौत की सजा ना देने को लेकर वकील एपी सिंह ने कोर्ट में अजीबो-गरीब दलीलें दीं. उन्होंने कहा कि वेद पुराण के मुताबिक कलियुग में लोगों की उम्र कम हो गई है तो फिर फांसी क्यों? अक्षय के वकील ने कहा कि एक हफ्ते में क्यूरेटिव पिटीशन करेंगे. ये भी खारिज होने पर दया याचिका दायर की जाएगी. अक्षय के वकील ने कहा कि पहले क्यूरिटेव दाखिल करेंगे और फिर दया याचिका.

अब दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटिशन का विकल्प मौजूद है. रिव्यू के लिए 1 हफ्ते और राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का दिया गया है. दया याचिका खारिज होने के बाद ही फांसी दी जा सकती है. निर्भया के दोस्त के कथित खुलासे का बचाव पक्ष कोर्ट में इस्तेमाल कर सकता है. बचाव पक्ष इस मामले को एक बार फिर लटकाने की कोशिश करेगा. बचाव पक्ष सन 2017 के बाद उन सभी मामलों की लिस्ट कोर्ट में पेश करेगा जिनमें फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील की गई है. इसी तरह बचाव पक्ष इस मामले में भी दोषियों को उम्र कैद की सजा देने की मांग कर सकता है.

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तिहाड़ जेल प्रशासन ने दोषियों को दिया 7 दिन का वक्त

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई 7 जनवरी तक टल गई है. निर्भया के परिजनों की मांग थी कि तुरंत डेथ वारंट जारी किया जाए लेकिन कोर्ट ने कहा कि दोषियों को कानूनी विकल्प आजमाने का पूरा मौका मिलना चाहिए. अब तिहाड़ जेल प्रशासन ने सात दिन के भीतर चारों दोषियों को नोटिस देकर पूछा कि वो आगे क्या कानूनी कदम उठाना चाहते हैं. इसके बाद 7 जनवरी को सुनवाई होगी. लेकिन इस दौरान अगर दया याचिका पेंडिंग रही तो सात जनवरी को भी डेथ वारंट जारी नहीं हो पाएगा. दया याचिका निपट जाने के बाद ही डेथ वारंट जारी होगा.

कब जारी होगा डेथ वारंट?

अब सवाल ये है कि बचाव पक्ष पहले दया याचिका दाखिल करेगा या क्यूरेटिव पिटिशन. बचाव पक्ष का कहना है कि वो दोनों याचिकाओं को दाखिल करेगा. पहले क्यूरेटिव पिटिशन और उसके बाद दया याचिका दाखिल की जाएगी. तमाम याचिकाएं खारिज होने के बाद ही डेथ वारंट जारी होगा.

निर्भया के परिजन फिर हुए दुखी

इस मामले में फिर से नई तारीख मिलने के बाद निर्भया के परिजन काफी नाराज और दुखी नजर आए. पटियाला हाउस कोर्ट में अगली सुनवाई अब 7 जनवरी 2020 को होगी. ऐसे में दोषियों को अब 20 दिन को मोहलत और मिल गई है.

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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को निर्भया मामले में दोषी अक्षय की पुनर्विचार यचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को तीस मिनट का समय दिया था. दोनों को एक घंटे में पूरी बात कहनी थी. बहस की शुरुआत अक्षय के वकील एपी सिंह ने की. उन्होंने कहा कि मामले में सबूतों और जांच में कई खामियां हैं. इस पर जज बोपन्ना नें कहा कि ये वक्त नहीं है. ये मामला पहले उठाना चाहिए था.

जवाब में सत्ता पक्ष के वकील एपी सिंह ने कहा कि वो मामले में नए तथ्य रख रहे हैं. उन्होने कहा कि मामले में मीडिया का प्रेशर है. जनता भी लगातार दबाव बना रही है. मेरे  क्लाइंट को फांसी देते समय इन बातों को भी ध्यान देना चाहिए. कहीं ऐसा ना हो कि दबाव में गलत फैसला हो जाए. उन्होंने कहा कि मामले में गवाह निर्भया के दोस्त के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. उसके खिलाफ 20 दिसंबर को सुनवाई भी होनी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामल से उसका क्या लेना देना.

दोषी किसी भी सहानुभूति के हकदार नहीं

बहस का जवाब देते हुए सरकारी वकील तुषार मेहता ने कहा कि मामले में पुनर्विचार याचिका तत्काल खारिज होना चाहिए. इस मामले पर बाकी दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है. ऐसे में इस पर अलग से सोचना वक्त की बर्बादी है. तुषार मेहता ने कहा कि दोषी किसी भी तरह की सहानुभूति के हकदार नहीं हैं उन्हें मौत की सज़ा दी जाए. वो कानूनी दांवपेच खेलकर मामले को लटका रहे हैं.

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