निर्भया कांड की पांचवीं बरसी के चार दिन पहले मामले में आरोपियों के वकील के एक अजीब बयान ने सुप्रीम कोर्ट में बवाल खड़ा कर दिया. निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषी करार दिए गए आरोपियों की मौत की सजा पर रिव्यू के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
मुकेश और अन्य आरोपियों के वकील एमएल शर्मा ने राज्य और पुलिस पर दो प्रत्यक्षदर्शियों (पीड़िता की मां और पिता) को घूस देने का आरोप लगाया. शर्मा का कहना था कि राज्य और पुलिस ने दोनों प्रत्यक्षदर्शियों को घूस देकर मनगढ़ंत कहानी गढ़ी ताकि ट्रायल कोर्ट में आरोपियों को फंसाया जा सके.
एमएल शर्मा के इस चौंकाने वाले कमेंट पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और शर्मा से कहा कि 'ये क्या है? बंद करो इसे. आप इस तरह के स्टेटमेंट नहीं दे सकते, जबकि मामला रिव्यू स्टेज में हो.'
जजों को सौंपे गए एक नोट और मौखिक बहस में शर्मा ने पीड़िता के परिजनों को दिए गए द्वारका स्थित फ्लैट और मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए 20 लाख के मुआवजे को 'राज्य की ओर से अभियोजन पक्ष के प्रत्यक्षदर्शियों को दिया गया घूस करार दिया.'
मेल टुडे से बातचीत में पीड़िता के पिता बद्रीनाथ सिंह ने शर्मा के बयान पर आक्रोश जताते हुए कहा कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. एक वकील इस तरह असंवेदनशील बयान कैसे दे सकता है. उसकी कोशिश हमें नीचा दिखाने की है.
हालांकि कोर्ट में आरोपियों के वकील शर्मा को चीफ जस्टिस से फटकार भी खानी पड़ी. शर्मा कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूरे वक्त पहले से डिस्कस की जा चुकी, दलीलें ही देते रहे. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप किस चीज पर बहस कर रहे हैं. कृपया रिव्यू के लिए केस बताएं.
चीफ जस्टिस ने कहा, 'बताइए कि हमारा निष्कर्ष गलत कैसे हैं. साबित करिए कि डीएनए और मौत संबंधी की गई घोषणाएं गलत थी. पूरे मामले में जांच की गई थी. आप केवल पहले से डिस्कस की गई दलीलें ही दोहरा रहे हैं.'
बता दें कि मामले में दोषी करार दिए गए मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.