रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल लड़ाकू विमान की खरीद पर कांग्रेस के आरोपों का जवाब दिया है. उन्होंने कांग्रेस पर देश की अहम रक्षा जरूरत को दस साल तक नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा- 'लड़ाकू विमान की बेहद ज़रूरी खरीद पर कांग्रेस दस साल तक कोई फैसला नहीं कर पाई और अब घोटाले का आरोप लगा रही है. इससे मुझे तकलीफ हुई है.'
सीतारमण ने कहा- 'राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत यूपीए सरकार के कार्यकाल में तय की गयी कीमत से काफी कम है.' निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर रक्षा संबंधी खरीद और तैयारी के मामलों में ढिलाई बरतने का आरोप भी लगाया है.
दरअसल मंगलवार को कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था- प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल डील में अपने बिज़नेसमैन दोस्त के लिए देश की सुरक्षा से समझौता किया और इस डील से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचेगा. इस डील में पारदर्शिता नहीं थी. रक्षा नियमों की परवाह किए बगैर राफेल डील को हरी झंडी दी गई.
इस डील के मौके पर ना तो रक्षा मंत्री मौजूद थे और न ही कैबिनेट की रक्षा मामलों की समिति से ही मंजूरी ली गई थी. यूपीए सरकार ने 54000 करोड़ रुपए से 126 राफेल जेट्स की डील की थी. साथ ही टेक्नोलॉजी के लिए भी डील हुई थी. मोदी सरकार ने बिना टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के 60 हजार करोड़ की बड़ी डील की और केवल 36 राफेल विमानों के लिए.
हम आपको बता दें कि भारत ने 36 राफेल फाइटर जेट के लिए फ्रांस के साथ 59000 करोड़ की डील की है. डील के तहत 36 राफेल फाइटर जेट विमान मिलने हैं. पहला विमान सितंबर 2019 तक मिलने की उम्मीद है और बाकी के विमान 2022 तक मिलने की उम्मीद है.