अयोध्या में रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद के विवादित स्थल पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार एक तिहाई का स्वामित्व पाने वाले निर्मोही अखाड़े ने कहा है कि वह रामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए दूसरे पक्षकार 'रामलला विराजमान' को पूरा सहयोग देने को तैयार है.
निर्मोही अखाड़े के महंत भास्कर दास ने कहा, 'मंदिर निर्माण के लिए आम सहमति और सहयोग के लिए रामजन्म भूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य राम विलास वेदांती ने उनसे बातचीत की है.' महंत दास ने बताया कि उन्होंने वेदांती से वादा किया है कि राम मंदिर निर्माण में अखाड़े की तरफ से पूर्ण सहयोग किया जाएगा, मगर शर्त एक ही है कि मंदिर निर्माण के लिए जो भी व्यवस्था बनती है, उसमें निर्मोही अखाड़े का अस्तित्व समाप्त नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'हम किसी भी सूरत में विवादित स्थल पर मस्जिद के निर्माण के पक्ष में नहीं हैं, यदि मुस्लिम वक्फ बोर्ड उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देता है, तो हम (अखाड़ा और रामलला विराजमान) दोनों मिलकर मुकदमा लड़ेंगे.' {mospagebreak}बातचीत को सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक बताते हुए वेदांती ने बताया कि महंत भास्कर दास ने यह भी कहा कि विवादित स्थल और उसके आस पास केन्द्र सरकार द्वारा अधिगृहीत 67 एकड़ भूमि सारी की सारी रामलला की है और हम केन्द्र सरकार से वह जमीन राम मंदिर के निर्माण के लिए दिये जाने की मांग करेंगे. महंत भास्कर दास ने बताया कि यह बातचीत की शुरुआत है और आगे बातचीत करके निर्णय लिया जायेगा.
वेदांती ने कहा कि महंत भास्कर दास का तर्क है कि जब अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड का मुकदमा ही खारिज कर दिया है तो उसे एक तिहाई जमीन देने का औचित्य कहा रह जाता है. आपसी सहमति के लिए महंत ज्ञान दास और बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाशिम अंसारी के बीच हुई बातचीत के बारे पूछे जाने पर महंत भास्कर दास ने कहा, 'हम रामजन्म भूमि परिसर के आस पास किसी मस्जिद के निर्माण के लिए तैयार नही हैं. कहीं और बनती है तो बने.'
इस संबंध में वेदांती ने कहा, 'हाशिम अंसारी अयोध्या के संतों से लड़ना नहीं चाहते और वे अब इस विवाद को यही समाप्त कर देना चाहते हैं और यह राय सार्वजनिक भी कर चुके है.’ उन्होंने कहा कि यदि सब लोग हाशिम अंसारी की बात मान लें तो देश में हिन्दु मुसलमानों के बीच कभी कोई विवाद होगा ही नहीं.{mospagebreak}यह पूछे जाने पर कि क्या अंसारी के साथ उनकी भी बात हुई, वेदांती ने कहा कि उनकी बात महंत ज्ञान दास से चल रही है. उल्लेखनीय है कि अयोध्या मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित स्थल को निर्मोही अखाड़े, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच तीन बराबर भागों में बांटने का फैसला किया है, मगर शर्त यह है कि रामलला विराजमान की मूर्ति आज जहां स्थापित है, वहीं स्थापित रहेगी.