स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मामलों में लेफ्ट शासित केरल देश का नंबर वन राज्य है, जबकि देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य इसमें फिसड्डी साबित हुआ है और उसे सबसे निचले पायदान पर जगह मिली है. स्वास्थ्य सेवाओं के ओवरऑल परफॉर्मेंस पर ये रैंकिंग नरेंद्र मोदी सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने जारी किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं जबकि राजीव कुमार इसके उपाध्यक्ष हैं.
केरल लगातार दूसरी बार नीति आयोग की रैंकिंग में टॉप पर रहा है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व बैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’है. ये रिपोर्ट 23 इंडेक्स के आधार पर तैयार की गई है.
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 2015-16 को आधार वर्ष माना गया है. इस रिपोर्ट में केरल के बाद आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर स्थान आता है. गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश चौथे, पांचवे और छठे स्थान पर हैं. रैंकिंग में यूपी 21 स्थान के साथ सबसे नीचे हैं. उसके बाद बीसवें नंबर पर बिहार 19वें नंबर पर ओडिशा की रैंकिंग की गई है.
पिछले साल के मुताबिक हरियाणा, राजस्थान और झारखंड ने अपने परफॉर्मेंस में सुधार किया है. इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस के आधार पर हरियाणा, राजस्थान और झारखंड टॉप पर है.
Among the larger States, Kerala, Andhra Pradesh and Maharashtra ranked on top in terms of overall performance.
Whereas, Haryana, Rajasthan and Jharkhand topped for improvement in incremental performance. #HealthIndex
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— NITI Aayog (@NITIAayog) June 25, 2019
बता दें कि ये नीति आयोग की दूसरी रिपोर्ट है. इसमें ओवरऑल परफॉर्मेंस और इंक्रीमेंटल इम्प्रूवमेंट के आधार पर 2016-17 से लेकर 2017-18 के बीच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परफॉर्मेंस का आकलन किया गया है.
इस रिपोर्ट को जारी करते हुए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि राज्यों के परफॉर्मेंस का असर केंद्र से उन्हें मिलने वाले बजट पर पड़ेगा.