बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को एक साथ ऑटो में बैठा देख कर आपको हैरानी हो सकती है कि आखिर ये माजरा है क्या. लेकिन बुधवार को यह दोनों लोग दिल्ली में एक साथ ऑटो की सवारी करते दिखे.
दरअसल दिल्ली आए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब बुधवार को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के घर उनसे मिलने पहुंचे तो गडकरी ने उन्हें दो ऑटो और एक खास तरह की मोटर साइकिल दिखाई. एक ऑटो पूरी तरह से बिजली से चलने वाला और दूसरा पूरी तरह से इथेनॉल पर चलने वाला था जिसे बजाज कंपनी ने खास तौर पर तैयार किया है.
नई नवेली चमकती हुई जो बाइक गडकरी ने नीतीश कुमार को दिखाई वो भी खास थी क्योंकि वह सौ प्रतिशत पेट्रोल से लेकर सौ प्रतिशत इथेनॉल पर चल सकती है. इस बाइक को भी बजाज कंपनी ने ही तैयार किया है और इसको फ्लेक्सी फ्यूल बाइक का नाम दिया गया है. जब बिजली और इथेनॉल से चलने वाली ऑटो और मोटर साइकिल की खूबियों के बारे में नीतीश कुमार ने सुना तो उन्होंने खुद सवारी करके इसका जायजा लिया.
बायोफ्यूल और इथेनॉल से गाड़ियां चलाने के बारे में नितिन गडकरी लंबे समय से कहते रहे हैं. गडकरी ने कहा कि जब शुरू में वो कहते थे कि ऐसा संभव है तब लोग उनकी बात नहीं मानते थे लेकिन अब सामने खड़ी गाड़ियां खुद इसका सबूत पेश कर रही हैं. उन्होंने कहा कि 70 रूपये प्रति लीटर पेट्रोल पर चलने वाली बाइक को अगर इथेनॉल से चलाया जाता है तो खर्च सिर्फ 50 रूपये प्रति लीटर का आएगा.
नितिन गडकरी ने कहा कि इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियों की सबसे बड़ी खासियत सिर्फ यह नहीं है कि ये पैसा बचाती हैं बल्कि सबसे बड़ी बात यह है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता जो आज सबसे बड़ी समस्या बन गया है.
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि अब ऐसी टेक्नोलॉजी आ चुकी है कि सिर्फ गन्ने से नहीं बल्कि फसलों के भूसे, पराली, मक्के के छिलके और डंडे और यहां तक कि कचरे से भी इथेनॉल बनाया जा सकता है. गडकरी ने कहा कि जैसे-जैसे ये लोकप्रिय होगा कच्चे तेल का आयात भी घटेगा जिसमें देश को हर साल 9 लाख करोड़ रुपए खर्च करने होते हैं.
नीतीश कुमार ने इन गाड़ियों की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी सबसे ज्यादा रुचि इथेनॉल से चलने वाली मोटर साइकिल में है क्योंकि पूरे देश में अगर सबसे ज्यादा बाइक किसी एक राज्य में बिकती हैं तो वह बिहार ही है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद अगर ईंधन के तौर पर इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने और मक्के के कचरे का इस्तेमाल होता है तो यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा होगा और लोगों की जेब पर पड़ने वाला भार भी कम हो सकेगा.