केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय का जिम्मा संभालते हुए ही फुल ऐक्शन में दिख रहे हैं. गडकरी ने बुधवार को बताया कि उनका मंत्रालय अगले तीन महीने के अंदर नदियों को जोड़ने की केन-बेतवा संपर्क परियोजना, दमनगंगा- पिंजाल संपर्क परियोजना और पार-तापी-नर्मदा संपर्क परियोजना पर काम शुरू करेगा.
गडगरी ने साथ ही बताया कि तीनों परियोजनाओं को जरूरी मंजूरी मिल गई है और वह जल्द ही अंतरराज्यीय विवादों को सुलझाने के लिए संबंधित मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे, ताकि अगले तीन महीने के अंदर इन परियोजनाओं पर कार्य शुरू हो सके.
राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी सोसाइटी की 31वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए गडकरी ने देश के 13 सूखा प्रभावित और 7 बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की हालत पर चिंता जताई. इसके साथ गडगरी ने उपलब्ध जल को संरक्षित करने और उसे साझा करने के लिए कारगर उपाय विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि समुद्र में गिरने वाले 60 से 70 प्रतिशत जल को बचाने के तरीके विकसित करने की जरूरत है.
नितिन गडकरी ने इस साथ ही नदियों की गाद निकालने के लिए एक नया व्यापक कानून की मांग की है. उन्होंने अपने मंत्रालय से जुड़े संसदीय सलाहकार समिति की बैठक को बाढ़ प्रबंधन के मुद्दे पर संबोधित करते हुए कहा कि यह नया कानून राज्यों के परामर्श से तैयार किया जाएगा. देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए गडकरी ने कहा कि देश में बाढ़ की चुनौतियों को प्रभावी ढंग से निपटना जरूरी है.
जल संसाधन मंत्री ने साथ ही कहा कि नदियों को जोड़ने और बांधों के निर्माण जैसे कार्यों को भी बाढ़ को कम करने के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए. गडकरी ने कहा कि हमें अपने देश में बाढ़ के पूर्वानुमान करने वाले नेटवर्क को भी मजबूत करना और सुधारना होगा.