जमीन के मुद्दे पर देश के दो दिग्गज शुक्रवार को 'आज तक' स्टूडियो में आमने-सामने हुए. विषय था भूमि अधिग्रहण बिल और इस पर चर्चा कर रहे थे केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह. दोनों में कई बार नोकझोंक हुई तो आवाज की आवृत्ति भी कई बार ऊपर हुई. गडकरी ने तो यहां तक दावा कर दिया कि अगर किसानों को चार गुना मुआवजे की बात झूठी निकली तो वह इस्तीफा तक देने को तैयार हैं.
बहस में गडकरी ने कॉरपोरेट की मददगार सरकार के आरोपों को भी खारिज किया. दिग्विजय से बहस में उन्होंने दावे के साथ कहा कि अंबानी-अडानी या ऐसे बड़े उद्योगपतियों के लिए एक फुट जमीन का भी अधिग्रहण नहीं किया जाएगा. गडकरी ने कहा कि भले ही इससे प्रोजेक्ट्स की कीमत बढ़े पर चार गुना मुआवजे की शर्त से समझौता नहीं किया जाएगा.
सभी दलों से नहीं ली गई राय: दिग्विजय
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भूमि बिल के मौजूदा स्वरूप में कमियां गिनाईं. उन्होंने आरोप लगाया कि भूमि बिल पर कानून बनाने से पहले सभी दलों से बात नहीं की गई और जल्दबाजी में अध्यादेश लागू किया गया. इस पर गडकरी ने कहा कि सरकार ने सभी दलों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं से बिल पर चर्चा की और कई सुझाव स्वीकार किए, और हम आज भी चर्चा के लिए तैयार हैं.
दिग्विजय ने नसीहत देते हुए कहा कि किसान और सरकार के बीच संवादहीनता नहीं होनी चाहिए. संवादहीनता से संघर्ष की स्थिति बनती है. उन्होंने कहा, 'हमने कहा था कि जमीन अधिग्रहित होने के बाद 5 साल तक काम शुरु नहीं हुआ तो जमीन वापस की जाएगी. अब नियम बदल दिया गया है. बीजेपी की विचारधारा कॉरपोरेट और रईसों की है. बीजेपी के लाए सारे अध्यादेश अमीरों के लिए हैं.'
कॉरपोरेट नहीं चलाते देश: गडकरी
इस आरोप को गडकरी ने खारिज किया. उन्होंने कहा कि देश में आज भी कई गांव में सरकारी अस्पताल ही चल रहे हैं, सरकारी स्कूल चल रहे हैं और कॉरपोरेट देश नहीं चलाते. उन्होंने दोहराया कि उद्योगपतियों, निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, निजी मेडिकल कॉलेज वगैरह के लिए कतई जमीन अधिग्रहित नहीं होगी. उन्होंने कहा, भूमि अधिग्रहण बिल में जो बातें हैं ही नहीं, उन्हें भी बताया जा रहा है. किसी कॉरपोरेट के लिए कोई रियायत इसमें नहीं है.
दिग्विजय ने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल एक संवेदनशील मसला है और इस पर सभी दलों की सहमति होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि अधिग्रहण के बाद सामाजिक प्रभाव का आकलन होना चाहिए.