मौका था, बोधगया मंदिर में हुए सीरियल ब्लास्ट पर जानकारी देने के लिए हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस का. नीतीश कुमार ने बताया कि इस ब्लास्ट के बारे में कयास नहीं लगाए जाने चाहिए और एनआईए की जांच के बाद ही सब साफ होगा. मगर इसके बाद नीतीश ने जो राजनैतिक बयान दिया, उससे राजनैतिक हलकों में नए सिरे से कयासबाजी शुरू हो गई है. नीतीश के मुताबिक बिहार में चुनाव जीतने के लिए लालू प्रसाद यादव और नरेंद्र मोदी एक हो गए हैं. बकौल नीतीश, दोनों पार्टियों में अंदर ही अंदर शीर्ष स्तर पर सीट शेयरिंग हो चुकी है.
यहां पढ़िए नीतीश ने अपने राजनैतिक विरोधियों के लिए क्या कहा. उन्हीं की जुबान में
सवालः बम विस्फोट के बाद सरकार की लापरवाही पर आए बयानों पर
नीतीश का जवाबः बिहार में हम एक बात देख रहे हैं. दो दलों की एकता साफ-साफ दिख रही है. हमें बीजेपी और आरजेडी की एकता दिख रही है. अंदरखाने बातचीत भी चल रही है, और यह साधारण स्तर पर नहीं है. सीट एडजेस्टमेंट चल रहा है, अंदर अंदर. मेरे एक कदम से सब एक्सपोज हो गए हैं. ये सत्ता के लिए छटपटाहट है, ये लोग किसी भी स्तर पर जा सकते हैं.
देखिए महाबोधि मंदिर में ब्लास्ट हुआ. ये समय ऐसा है कि विभाजन नहीं होना चाहिए। इंटरनेशनल लेवल पर सब देख रहे हैं. सबको मिलकर चुनौता का सामना करना चाहिए. लेकिन मैं वहां जाता हूं, तो मेरे खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं. आप लोग इसे भी देखिए, ये बौखलाहट जो होती है एक व्यक्ति की सत्ता से हटने की और दूसरे वे जो सत्ता से बेदखल हो गए तो वापस कैसे आए हैं. तो दोनों लोग मिल गए हैं, एक साथ मिलकर आगे भी बहुत काम करेंगे, कुछ प्रत्य़क्ष कुछ परोक्ष अंदर अंदर करेंगे.
सवालः कहा जा रहा है कि बीजेपी के साथ छोड़ने के बाद सरकार कमजोर हुई है.
नीतीश का जवाबः अगर सरकार कमजोर हुई है, तो हमारी हुई है. उनको काहे के लिए परेशानी हो रही है. हमें परेशान होना चाहिए. मगर उनकी परेशानी यही है. बीजेपी के मंत्री बिना कुछ काम किए छपते रहते थे. अब उसी की छतिपूर्ति बयान देकर करते हैं. ये हमारे लिए लक्ष्य नहीं है. हमें तो अपने सिद्धांतों पर डटे रहना है. चाहे जो भी कुर्बानी देनी पड़े.
सवालः बिहार में बिगड़ती कानूनी हालत से जुड़े बीजेपी के बयानों पर
नीतीश का जवाबः अरे भाई ये तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. आजकल इतना अखबार है. चैनल है तो वो लोग जो बयान देंगे तो छपेगा ही न. रोज रोज करेंगे वे ये सब. पर मेरा काम नीहं है रोज-रोज बोलना. खराब लगता है. ये अच्छा लगता है क्या आप ही बताइए. किसी आदमी की आदत है. हम तो कभी बयान बहादुर थे नहीं, हो भी नहीं सकते, हम लोगों के जो नेता रहे हैं लोहिया जी और जेपी. तो लोहिया कहते थे कि जो सरकार में रहे उसे जुबान ज्यादा चलाना नहीं चाहिए. काम करना चाहिए. हमारा साढ़े सात साल से काम बोलता रहा है, आगे भी काम ही बोलेगा. उन लोगों के बयानों के संदर्भ में कृपया मुझे बख्श दीजिए.