बिहार के छपरा इलाके में जहरीला मिड डे मील खाने से 21 बच्चे मर गए, दर्जनों घायल हैं और अब नीतीश सरकार को इसमें राजनैतिक साजिश की बू नजर आ रही है. बात बात पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी तक सामने नहीं आए हैं. बुधवार को सामने आए नीतीश के सिपहसालार और राज्य के शिक्षा मंत्री पीके साही. उन्होंने रहस्य और अटकलों भरी एक कहानी पत्रकारों के सामने पेश की. आप भी सुनें.
‘मुझे कई लोगों से सूचना मिली है. पुलिस उसकी जांच करेगी, पर मुझे छानबीन में जो तथ्य सामने आए हैं, वह बता रहा हूं. सारण जिले के उस विद्यालय में हेड मिस्ट्रेस हैं श्रीमती मीना कुमारी. 2011 तक वह दूसरे स्कूल में थीं. राजनैतिक सिफारिश हुई तो अधिकारियों ने उन्हें यहां डेपुटेशन पर हेड मिस्ट्रेस बनाकर भेज दिया. मीना कुमारी के पति हैं अर्जुन राय. किराने की दुकान है और एक राजनैतिक दल के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. यहीं से स्कूल के मिडडे मील के लिए सामान आता था. राय साहब के भाई एक बड़े राजनैतिक दल के नेता के खासमखास हैं.’
इस भूमिका के बाद मंत्री जी मुख्य प्लॉट पर आते हैं. उनके मुताबिक ‘इन्हीं अर्जुन राय की दुकान से वह तेल आया, जिसमें बनी सब्जी खाकर बच्चे बीमार हुए और मरे.’ बकौल साही, ‘मैंने अस्पताल में उस कुक से बात की, जिसने यह खाना बनाया. उसने बताया कि सब्जी बनाने के क्रम में जब तेल का प्रयोग करने जा रही थी तो उसे कुछ संदेह हुआ. तेल एक विशिष्ट रंग का दिख रहा था, जब इसे कड़ाही में डाला गया, तो इसका रिएक्शन कड़ा हुआ, वह एक प्रकार से धुंआ की तरह था, तो वह थोड़ा विचलित हुई, उसने शिक्षिका मीना कुमारी को कहा कि तेल में संदेह है, तो शिक्षिका ने कहा कि ये नया घर का पिराया हुआ तेल है, इसलिए इसका प्रयोग किया जाना चाहिए. ततपश्चात उसने सब्जी बनाई. बच्चों ने सब्जी के बारे में कुक को कंल्पेंट किया, मगर टीचर ने कहा कि नहीं खाना बर्बाद नहीं होना चाहिए, खा लो. बच्चों ने खाना खाया और बीमार पड़े.’
कैसे क्या हुआ इस मिड डे मील मर्डर कांड में
साही ने एक डॉक्टर के हवाले से यह भी बताया कि ‘बच्चों की उल्टी से आ रही गंध से लग रहा है कि तेल में ऑर्गेनिक फॉस्फोरस मिला है.इसी जहरीले पदार्थ के चलते मौत हुई. ’
इतना सब कहने के बाद मासूम मंत्री ने आखिरी में यह भी कहा कि मैं अपनी तरफ से किसी को कुछ नहीं कह रहा. तथ्य रख रहा हूं. निष्कर्ष दूंगा तो कहा जाएगा कि जांच प्रभावित करने के लिए कह रहे हैं.साही यह भी कहते हैं कि जांच पुलिस का अधिकार है और सरकार उसमें हस्तक्षेप नहीं करती. इतने बेढब तर्क के बाद कहने सुनने को कुछ बचता भी नहीं है.