आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की बैठक में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच की दूरियां साफ-साफ नजर आ गई. बैठक शुरू होने से पहले सभी मुख्यमंत्री एक दूसरे से मिल रहे थे.
बिहार के मुख्यमंत्री भी पंहुंचे. वो सबसे मिलते हुए आगे बढ़े. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से रुक कर बात करने लगे.उसी दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे. वो नीतीश कुमार के बगल से ही गुजरे. लेकिन ना तो उन्होंने नीतीश की ओर देखा और ना ही नीतीश ने मोदी की ओर देखा.
मोदी और नीतीश के बीच दूरियां हमेशा से रही हैं, पर एक ही छत के नीचे इन दोनों के बीच इस कदर की बेरूखी कभी देखने को ना मिली. दरअसल, दोनों के रिश्तों में आई इस कड़वाहट के पीछे एनडीए के पीएम उम्मीदवार को लेकर मोदी की दावेदारी है.
मोदी की यह महत्वाकांक्षा बिहार में नीतीश कुमार की सियासत के आड़े आ रही है. नीतीश की नजर बिहार के मुस्लिम वोटरों पर है और वो खुद को सेकुलर बताने में जुट गए हैं. ऐसे में मोदी से उनकी करीबी मुस्लिम मतदाताओं के बीच गलत संदेश दे सकती है.
इस कवायद में नीतीश ने कई कई मौकों पर इशारों ही इशारों में मोदी पर निशाना भी साधा, जिस वजह से बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते टूटने के कगार तक पहुंच गए थे.
मोदी-नीतीश का महाभारत
1. लुधियाना के एनडीए रैली में एक साथ दिखे नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार.
2. मोदी के साथ तस्वीर का पोस्टर बिहार में लगाने से नीतीश नाराज.
3. बीजेपी नेताओं के साथ डिनर कैंसिल कर नीतीश ने जताई नाराजगी.
4. 2009 में नीतीश कुमार ने बिहार में मोदी को चुनाव प्रचार करने से रोका.
5. मोदी की तरफ से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 5 करोड़ का चेक लौटाया.
6. पीएम उम्मीदवार के लिए मोदी के नाम पर खुली मुखालफत.
7. राष्ट्रपति चुनाव में कलाम की जगह संगमा को समर्थन देने पर किया मजबूर.
मोदी के खिलाफ क्यों हैं नीतीश कुमार?
1. जेडीयू के मुताबिक 2004 लोकसभा चुनाव में हार की वजह गुजरात दंगा.
2. बिहार के 16 फीसदी मुस्लिम वोटरों के बीच खुद को सेकुलर बताने की सियासत.
3. लालू की सियासी ताकत कम होने से मुस्लिम वोटरों के समर्थन की उम्मीद.