scorecardresearch
 

फंस गए नीतीश? राष्ट्रपति चुनाव अब सेक्युलर बनाम भाजपा है

कांग्रेस ने दरअसल भाजपा के तुरुप को उसी टक्कर के तुरुप से काट दिया है. इसलिए इस चुनाव में अब दलित से ज़्यादा अहम फैक्टर भाजपा बनाम विपक्ष हो गया है और यहीं पर हार के बाद भी विपक्षी एकजुटता की लड़ाई में कांग्रेस जीतती नज़र आ रही है.

Advertisement
X
नीतीश कुमार के लिए ये फैसले की घड़ी है
नीतीश कुमार के लिए ये फैसले की घड़ी है

Advertisement

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह चुके हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका समर्थन भाजपा की ओर से प्रस्तावित रामनाथ कोविंद को है. वजह यह है कि वो बिहार के राज्यपाल हैं और दलित हैं. अगर कोविंद जीतते हैं तो उत्तर भारत से पहली बार एक दलित राष्ट्रपति बनेगा. नीतीश इसी तर्क के आधार पर गुरुवार को विपक्षी दलों की बैठक में भी शामिल नहीं हुए.

लेकिन संख्या में कमज़ोर विपक्ष एक मज़बूत दांव खेल चुका है. कांग्रेस की नेता और लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार को विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इसके साथ ही अब राष्ट्रपति पद के चुनाव में दोनों नाम दलितों के हो गए हैं. और इसीलिए दलित को समर्थन का तर्क अब किसी एक के पाले का तुरुप नहीं रह गया है.

Advertisement

राष्ट्रपति चुनाव: मीरा कुमार होंगी UPA की उम्मीदवार, NDA के कोविंद से मुकाबला

कांग्रेस ने दरअसल भाजपा के तुरुप को उसी टक्कर के तुरुप से काट दिया है. इसलिए इस चुनाव में अब दलित से ज़्यादा अहम फैक्टर भाजपा बनाम विपक्ष हो गया है और यहीं पर हार के बाद भी विपक्षी एकजुटता की लड़ाई में कांग्रेस जीतती नज़र आ रही है.

आंकड़े कहते हैं कि भाजपा के प्रत्याशी यानी कोविंद जी को जीतने से रोका नहीं जा सकता है. इसीलिए शुक्रवार को भाजपा के शीर्ष नेताओं और मुख्यमंत्रियों का जंबो समूह रामनाथ कोविंद का नामांकन कराने दिल्ली पहुंच रहा है. लेकिन टूटते और डूबते विपक्ष ने इसे भाजपा बनाम विपक्ष की लड़ाई बनाने में सफलता पा ली है.

मुश्किल में नीतीश
मीरा कुमार दलित होने के साथ-साथ महिला भी हैं. मायावती, जो कोविंद के नाम पर सहमति के संकेत दे चुकी थीं, ने कह दिया है कि उनका समर्थन मीरा कुमार को मिलेगा. लालू प्रसाद ने मीरा कुमार के नाम का समर्थन करते हुए यह तक कह दिया कि नीतीश कुमार अगर अब भी कोविंद का समर्थन करते हैं तो यह ऐतिहासिक भूल होगी.

लालू की नीतीश को दो टूक, कोविंद को समर्थन देना ऐतिहासिक भूल होगी

उन्होंने यह भी कहा कि मीरा कुमार बिहार की बेटी हैं और अगर व्यक्तिगत समर्थन का हवाला देकर नीतीश कोविंद के साथ जाते हैं तो यह समझ लें कि राजनीति व्यक्तिगत नहीं, विचारधारा के आधार पर होती है.

Advertisement

विपक्ष की बैठक में 17 राजनीतिक दल मौजूद थे और सभी ने मीरा कुमार पर सहमति जताई. नहीं थे तो बस नीतीश. नीतीश के लिए मुश्किल यह है कि अगर वो अब भी भाजपा प्रत्याशी के साथ जाते हैं तो विपक्षी दलों के बीच अलग-थलग पड़ जाएंगे. यही स्थिति मुलायम सिंह यादव के लिए भी है जो कोविंद के नाम पर नरम दिखाई दे रहे थे.

कोविंद बिहार के राज्यपाल हैं लेकिन उनकी ज़मीन यूपी है. मीरा कुमार का ताल्लुक बिहार से है. उन्होंने वहां राजनीति की है. नीतीश के लिए मीरा कुमार का समर्थन न करना बिहार में भी उनके लिए मुश्किल खड़ी करेगा.

विपक्ष का दूसरा बड़ा दांव यह है कि अगर कोई दल कोविंद की जीत तय होने का तर्क देगा तो उसे विपक्ष कहेगा कि ऐसी स्थिति में तो संसद में संख्या कम होने के कारण विरोध ही बंद कर देना चाहिए.

विपक्षी दलों के लिए कोविंद का दलित होना अब समर्थन का सहज कारण नहीं हो सकता. उन्हें यह भी सोचना पड़ेगा कि अगर आज वो विपक्ष के साथ नहीं हैं तो फिर विपक्ष उनके साथ खड़ा हो या नहीं. नीतीश के लिए यह सवाल खासा कठिन है.

Advertisement
Advertisement