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आसाराम जैसा हश्र होगा झूठे किस्से सुनाने वाले अहंकारी नरेंद्र मोदी का, बोले नीतीश कुमार

बिहार के राजगीर में चल रहे सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने नरेंद्र को अहंकारी और झूठे किस्से गढ़ने वाला बताते हुए कहा कि उनका हाल वही होगा जो आसाराम बापू का हुआ.

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राजगीर के चिंतन शिविर में नीतीश कुमार
राजगीर के चिंतन शिविर में नीतीश कुमार

बिहार के राजगीर में चल रहे सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने नरेंद्र को अहंकारी और झूठे किस्से गढ़ने वाला बताते हुए कहा कि उनका हाल वही होगा जो आसाराम बापू का हुआ.नीतीश ने मोदी के भाषण के एक एक अंश का जिक्र करते हुए कभी मिमिक्री तो कभी चुनौती के अंदाज में अपने जवाब रखे.आइए जानें मोदी के भाषण पर नीतीश के दस बाण, जो आज चले

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1:  गुजरात में मोदी ने मेहमाननवाजी की, बिहार में नीतीश ने ऐसा नहीं किया

नीतीश का जवाबः हम उनके गेस्ट नहीं थे. पटना हाई कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश भट्ट के घर में शादी थी. उनका आग्रह था. उस फंक्शन में हम भी गेस्ट थे वहां, वह (मोदी) भी गेस्ट थे. दोनों को भट्ट साहब ने खिलाया.हां एक बात हमको याद है. गुजरात के लोग आइसक्रीम बहुत खाते हैं. देश की आधी खपत वहां है. मीठा तो खाते हैं. लेकिन मीठा खाने का असर भी होना चाहिए. जुबान मीठी क्यों नहीं है. धैर्य रखिए, प्रधानमंत्री का पद इस देश के 120 करोड़ लोगों का पद है, उनकी रहनुमाई करने वालों को उतावला नहीं होना चाहिए.

2: पीएम मीटिंग के बाद लंच के दौरान फोटोग्राफर से डरने की कहानी

नीतीश का जवाबः वहां कई कथा सुनाई गईं, एक तो ये गुजरात में.इसके अलावा एक झूठी कथा भी कही गई. पीएम की टेबल पर हम साथ कभी नहीं बैठे. ये बनावटी है. जैसे हवा बनावटी है. कुदरत की बनाई हुई नहीं है. ब्लोअर से दी जा रही है.कथा सुना रहे थे वहां.एक कथावाचक जो वहीं के हैं, उनका हश्र तो आप लोग देख ही रहे हैं न...हां तो बस वैसा ही है इनका हाल. सच का कोई वास्ता नहीं. बनावटी कथा. जब कथा बनावटी, तो हवा भी बनावटी, निश्चिंत रहिए.

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3: जेपी को छोड़ा, तो बीजेपी को तो छोड़ ही देंगे

नीतीश का जवाबः तुकबंदी हो रही है भाई.जेपी को छोड़ दिया, तो बीजेपी को छोड़ दिया. कब छोड़ा जेपी को. मैं जानना चाहता हूं. बीजेपी में भी बी के बाद जेपी है, तो तुकबंदी बना दी. अरे कुछ तो स्तर होना चाहिए. लोहिया जी की पीठ में हमने खंजर भोंका. अरे लोहिया जी वह शख्स हैं, जिन्होंने जनसंघ और कम्युनिस्टों को एक घाट का पानी पिला दिया.और जब गांधी मैदान की सभा में जेपी से संपूर्ण क्रांति को पारिभाषित करने के लिए बोला गया. तो उन्होंने कहा कि लोहिया की जो सप्त क्रांति है, वही हमारी संपूर्ण क्रांति है.

4: जेडीयू ने बीजेपी नहीं बिहार की जनता से विश्वासघात किया

नीतीश का जवाबः यहां गठबंधन मिलाने के बजाय तोड़ने वाले कह रहे हैं कि पीठ में खंजर भोंका. हम यही तो कह रहे थे कि माहौल ऐसा है. करप्शन है, बेरोजगारी है. गरीबी है. जनता त्राहि कर रही है. उसके खिलाफ जब भारत बंद का आह्वान हुआ, किसने पहल की,हमने की. जिसमें सिर्फ एनडीए नहीं पूरा लेफ्ट फ्रंट और क्षेत्रीय दल आए. भारत बंद एक नहीं दो दो बार कामयाब हुआ. उसके आर्किटेक्ट बीजेपी के कोई नेता नहीं हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव थे.

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5: बड़ी पार्टी बीजेपी ने बिहार में बड़प्पन दिखाया, जेडीयू ने नहीं

नीतीश का जवाबः जब माहौल बना कांग्रेस के खिलाफ, आपने सोचा अच्छा है. अब दूसरों को मिलाने की क्या जरूरत है. हम खुद ही गद्दी पर बैठ जाएंगे. गैरकांग्रेसवाद को किसने कमजोर किया. हमने कहा, बीजेपी बड़ी पार्टी है, नेता तो आपका ही होगा. पर ऐसा नेता चुनो, जो सबका ख्याल रखे, सबका विश्वास जीते, सबको साथ लेकर चले, सबको मंजूर हो. सबसे गले मिले. और उसके साथ साथ जो देश के सबसे पीछे छूट गए इलाके हैं, उनके भी विकास की चिंता करे.

6: मुझे पता है गरीबी क्‍या है, मैंने स्‍टेशन में चाय बेची है

नीतीश का जवाबः  हमको तजुर्बा नहीं है स्‍टेशन पर चाय बेचने का, हम एक साधारण किसान परिवार से आए है. हमारे पिताजी वैद्य थे और मां घरेलू महिला. नीतीश ने कहा कि केवल कहने भर से कोई पिछड़ा नहीं हो जाता. राजनारायण, वीपी सिंह पिछड़ा नहीं थे, लेकिन उन्‍होंने पिछड़ों के दिल में अपनी जगह बनाई. 

7: ये बिहार की जनता का हुंकार है राज्य और दिल्ली सरकार के खिलाफ

नीतीश का जवाबः जैसा रैली का नाम. हुंकार का क्या मतलब होता है. डिक्शनरी उठाकर देख लीजिए. दंभ के साथ अगर ऊंचा स्वर लगाया जाए। दंभ, घमंड़. अहंकार. हुंकार से अहंकार टपकता है. संस्कार की ज्यादा बात तो वो करते रहते हैं. यही है भारतीय संस्कार. ऐसा कौन सा दान जिसका बखान हो और वो राशि लौटा दी जाए, तो उसको भंजा लिया जाए. ये कैसा आचरण.

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8: विधानसभा चुनाव 2010 में ही साथ क्यों नहीं छोड़ दिया

नीतीश का जवाबः हम तो तैयार थे इस्तीफा देने के लिए, अपने सहयोगी श्री सुशील कुमार मोदी को मैंने कह दिया था. मैं तो तैयार हूं. डेढ़ मिनट का फासला है मुख्यमंत्री आवास से राज भवन पहुंचने में. लेकिन कौन पीछे हटा. क्यों 2010 में साथ चुनाव लड़े.जब इतने मर्माहत थे.इसलिए साथ लड़े क्योंकि मेरे बिना काम नहीं चलने वाला था. तो अवसरवादी कौन. जब जैसा तब तैसा किसका आचरण. 10 में हम चाहिए थे. तो कह रहे हैं कि अपमानित किया. और फिर 2014 में, बहुत ज्यादा बोल रहे हैं. क्या बोल रहे हैं, कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, किस तरह की उत्तेजना पैदा कर रहे हैं.कहा गया, सजा दोगे, सजा दोगे, सजा दोगे.ये क्या तरीका है जनता से संवाद का.

9: गांधी मैदान की हुंकार रैली ने बनाया देश में इतिहास

नीतीश का जवाबः हमारी पिछले साल 4 नवंबर को पटना की अधिकार रैली ने जो कीर्तिमान स्थापित किया. उसे तोडऩा संभव नहीं. प्रचार किया जा सकता है, साधन झोंके जा सकते हैं, हवा बनाई जा सकती है, लेकिन वो जनसमर्थन हासिल करना किसी के लिए संभव नहीं. क्योंकि वह किसी व्यक्ति के लिए रैली नहीं थी. बिहार के हक की रैली थी.

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10: मोदी के इतिहास ज्ञान पर उठाए सवाल

नीतीश ने बताईं ये तथ्यात्मक भूलें- गांधी मैदान में बिहार का इतिहास ही बदल दिया. पाकिस्तान के तक्षशिला विश्वविद्यालय को बिहार का बता डाला. सिकंदर को गंगा नदी तक पहुंचा दिया, जबकि वह सतलज नदी तक भी पहुंच नहीं सका था. चंद्रगुप्त मौर्य को गुप्त वंश का बता दिया.और ये बात करते हैं इंतिहास बनाने की.

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