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नीतीश कुमार ने भूमि अधिग्रहण बिल को बताया 'काला कानून', करेंगे उपवास

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को घोषणा की कि वे एक दिन का उपवास रखेंगे. यही नहीं उन्होंने बिहार के लोगों से उनका साथ देने की अपील भी की. नीतीश का यह उपवास भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ होगा.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को घोषणा की कि वे एक दिन का उपवास रखेंगे. यही नहीं उन्होंने बिहार के लोगों से उनका साथ देने की अपील भी की. नीतीश का यह उपवास भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ होगा.

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नीतीश ने लोगों से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक को वापस लेने का दबाव बनाने की अपील की. हालांकि उन्होंने उपवास की तारीख की घोषणा नहीं की. जेडीयू नेता ने गांधी मैदान में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उपवास की घोषणा की. उन्होंने कहा, 'मैं भूमि अधिग्रहण विधेयक विधेयक के खिलाफ लोगों से एकदिवसीय उपवास में शामिल होने की अपील करता हूं.'

नीतीश कुमार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को 'काला कानून' करार दिया. इस विधेयक को किसानों के हितों के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, 'मैं और मेरी पार्टी इस काला कानून का विरोध करते हैं और मैं सभी पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं से किसानों के हितों की रक्षा के लिए इसके खिलाफ एक अभियान छेड़ने की अपील करता हूं.'

मुख्यमंत्री ने मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि लोकसभा चुनाव में किसानों से वोट लेने के बाद वे बीजेपी किसानों को भूल गई और उन्हें दुर्दशा में छोड़ दिया. उन्होंने कहा, 'अब मोदी और बीजेपी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों से जमीन झटकने पर उतारू हैं.'

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नीतीश कुमार ने कहा कि मोदी सरकार कानून वापस ले या देशव्यापी विरोध झेले. उन्होंने कहा, 'भूमि अधिग्रहण विधेयक किसान विरोधी है और लोगों के खिलाफ है.' उन्होंने दावा किया, 'किसानों से संपर्क किए बगैर और कानून पर व्यापक चर्चा किए बिना विधेयक लाया गया है.'

भूमि अधिग्रहण विधेयक पर केंद्र को चिट्ठी लिखेगी शिवसेना
उधर केंद्र की मोदी सरकार में एनडीए की सयोगी पार्टी शिवसेना ने भी भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अपना विरोध जारी रखते हुए रविवार को कहा कि वे विधेयक की कुछ धाराओं में संशोधन की मांग करते हुए केंद्र को चिट्ठी लिखेगी.

शिवसेना के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, 'किसी की बात तब तक नहीं सुनी जाती, जब तक वह तेज ना बोले. हम भूमि अधिग्रहण विधेयक पर बोलते रहेंगे. हम औपचारिक रूप से सरकार को चिट्ठी लिखकर कुछ धाराओं में संशोधन की मांग करेंगे और उन्हें हमारे अनुरोध पर गौर करना होगा.'

उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच हाल में हुई बैठक का उल्लेख करते हुए कहा, 'यदि यह बैठक संसद में विधेयक पेश करने से पहले हुई होती तो शिवसेना ने उन धाराओं की ओर इंगित किया होता, पार्टी जिसके खिलाफ है.' सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच भूमि अधिग्रहण विधेयक के विवाद का विषय बनने के बीच गडकरी ने गत शुक्रवार को ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की थी और उनसे इस विधेयक पर समर्थन मांगा था.

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