क्या होगा रविवार को? क्या बैठक के बाद जेडीयू लेगी दोस्ती तोड़ने का फैसला या फिर निकलेगा कोई और हल? इन सवालों के जवाब से पहले ही बैठक का दौर तेज हो गया है. दिल्ली में बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने बैठक की तो पटना में नीतीश कुमार ने जेडीयू नेताओं के साथ पूरे मामले पर चर्चा की. गठबंधन को लेकर दोनों दलों में तनातनी है. मौजूदा हालात देखकर लगता है कि अब इस गठबंधन के तलाक का वक्त आ गया है.
बीजेपी और जेडीयू के संबंधों में पड़ी दरार और चौड़ी होती जा रही है. नीतीश के अड़ियल रुख पर अब बीजेपी के तेवर भी सख्त होते जा रहे हैं. इसीलिए जब नीतीश कुमार ने बिहार के उप-मुख्यमंत्री को बुलाया तो सुशील मोदी उनसे मिलने नहीं गए. उधर, जेडीयू की बैठक के लिए पार्टी अध्यक्ष शरद यादव भी पटना पहुंच गए हैं.
माना जा रहा है कि जेडीयू-बीजेपी में तलाक तय है क्योंकि नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि बात तभी बनेगी जब मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने से बीजेपी ना कहेगी. जबकि बीजेपी भी मोदी के नाम पर फिलहाल किसी समझौते के लिए तैयार नहीं है. फिलहाल जेडीयू ने अपने पत्ते पूरी तरह नहीं खोले हैं. पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने भी साफ कर दिया है कि गठबंधन में मुश्किलें तो हैं लेकिन बचाने की कोशिशें भी जारी है.
कभी भी हो सकता है तलाक...
बीजेपी और जेडीयू में तलाक होने में कुछ ही समय शेष रह गया है. हर दिन, हर घंटे दोनों पार्टियों के नेताओं की ओर से हो रही बयानबाजी से साफ है कि जल्द ही दोनों अपनी-अपनी राह पकड़ लेंगे. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं को मुलाकात के लिए अपने आवास पर बुलाया था, लेकिन बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी उनसे मिलने नहीं गए. सुशील मोदी के साथ नंदकिशोर यादव के भी नीतीश से मिलने जाने की खबर आई थी.
जब सुशील मोदी ने नीतीश से मिलने जाने से इनकार कर दिया तो नंदकिशोर यादव का बयान आया कि नरेंद्र मोदी पर नीतीश के बयानों के चलते पार्टी के नेता नाराज हैं और इसलिए वे उनसे मुलाकात नहीं करेंगे.
नंदकिशोर यादव ने कहा कि एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में नीतीश कुमार ने जो मुद्दे उठाए हैं, उस पर हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व बात करने में सक्षम होगा. नंदकिशोर ने कहा, 'मैं या सुशील मोदी गठबंधन को लेकर बात करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं. नीतीश को हमारे बड़े नेताओं से बात करनी चाहिए.'
उधर, नीतीश की पार्टी जेडीयू के नेता शिवानंद तिवारी ने भी तल्ख टिप्पणी की. तिवारी ने कहा कि उन्हें तो बीजेपी से बहुत पहले अलग हो जाना चाहिए था, अब देर हो गई है. तिवारी ने कहा कि 2010 में यदि वे बीजेपी से जुदा हो जाते तो बेहतर होता. शिवानंद तिवारी जेडीयू के बड़े नेता हैं और उनके बयान के मायने हैं. जाहिर है जेडीयू बहुत जल्द बीजेपी से 'तलाकनामे' पर हस्ताक्षर कर देगी.
हालांकि इससे पहले खबर आई थी कि नीतीश की पार्टी ने बीजेपी से इस आश्वासन की मांग की है कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा. जेडीयू इस शर्त के साथ एनडीए में बनी रह सकती है. पर बीजेपी मोदी को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहती.
मोदी से नीतीश की नफरत ठीक नहीं: सीपी ठाकुर
बीजेपी नेता सीपी ठाकुर ने कहा कि नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी से इतनी नफरत नहीं करनी चाहिए. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी नेता सुशील मोदी और नंद किशोर यादव को नीतीश से मिलने जाना चाहिए और गठबंधन पर बात करनी चाहिए.
लालू बचाएंगे नीतीश सरकार को
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार लालू प्रसाद यादव बिहार में नीतीश सरकार को गिराने का कोई प्रयास नहीं करेंगे. लालू यादव की पार्टी के सूत्रों ने बताया कि यदि नीतीश सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो आरजेडी नीतीश के खिलाफ वोट नहीं करेगी. मतलब साफ है कि लालू प्रसाद यादव अपने कट्टर विरोधी नीतीश कुमार की सरकार बचाएंगे या यूं कहा जा सकता है कि वे बीजेपी के खिलाफ अपना पत्ता खेलेंगे.
शरद यादव शायद कुछ और चाहते हैं!
यदि बात करें जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव की, जो एनडीए के संयोजक भी हैं, तो वे शायद नीतीश कुमार से सहमत नहीं हैं. अभी तक उनकी तरफ से आई प्रतिक्रियाओं से इतना तो जाहिर है कि उनका रवैया नीतीश के मुकाबले नरम है. वे शायद बीजेपी के साथ बने रहना चाहते हैं.
शनिवार को JD(U) के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि गठबंधन में समस्याएं जरूर हैं, जिन्हें सुझलाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने बीजेपी के सामने कोई शर्त नहीं रखी. गठबंधन पर फैसला पार्टी की बैठक के बाद होगा.
शुक्रवार को उन्होंने कहा था कि बीजेपी को प्रधानमंत्री पद के संबंध में उन्होंने कोई अल्टीमेटम नहीं दिया है. इससे पहले भी वे कई बार बीजेपी के प्रति अपने नरम रवैये का इजहार कर चुके हैं. वे कह चुके हैं कि जेडीयू के नेताओं की बैठक होगी और उसमें इस मसले पर चर्चा होगी. इसके बाद ही उनकी पार्टी का स्टैंड साफ होगा. लेकिन नीतीश कुमार और जेडीयू के अन्य तो मन बना ही चुके हैं कि अब साथ नहीं निभेगा और अलग हो जाना ही बेहतर है.