अरसे बाद आरजेडी प्रमुख लालू यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक मंच पर मिले, लेकिन दोनों ने इसे जुबानी अखाड़े में तब्दील कर दिया. मीडिया में छपने-छपवाने और एक दूसरे को काटने के सवाल पर दोनों ने एक-दूसरे पर खूब तंज किए. एक गैर-राजनीतिक मंच पर भी उनकी राजनीतिक रंजिश छिप नहीं पाई. बहरहाल वहां मौजूद लोगों ने इसका खूब लुत्फ लिया.
लालू ने नीतीश पर अखबार को कंट्रोल करने का सवाल उठाया तो नीतीश ने लालू को ऐसा नेता बता दिया जिसे अखबार में अपनी तस्वीर देखे बिना खाना हजम नहीं होता. नीतीश ने लालू के ट्विटर पर आने पर भी तंज कसा.
दोनों में नहीं हुई दुआ-सलाम
मौका था बिहार में हिंदी के एक अखबार की लॉन्चिंग का. मुख्य अतिथि थे केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे. उनके अगल-बगल बैठे थे बिहार के दोनों दिग्गज नेता, नीतीश और लालू. दोनो में दुआ सलाम भी नहीं हुई. माइक थामने का पहला मौका लालू को मिला. मौके को राजनीतिक रंग देते हुए लालू ने नीतीश सरकार पर परोक्ष रूप से प्रिंट मीडिया को कंट्रोल करने का आरोप जड़ दिया. उन्होंने कहा, 'बिहार में पत्रकार हैं, ईमानदार हैं. वे अपनी रिपोर्ट भेजते हैं लेकिन यहां खबरों को ऐसे चुना जाता है जैसे सड़क किनारे पिंजड़े में बंद तोते से भविष्य जानने वाला कार्ड चुनवाया जाता है.'
नीतीश ने भी दिया जवाब
जब नीतीश की बारी आई तो उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि लालू अपने कार्यकाल में खुद तय करते थे कौन सी खबर कहां छपेगी. बिहार के सीएम ने कहा, 'अखबार में छाएं तो हमीं छाएं, दूसरा कोई छपेगा तो हाजमा खराब हो जाएगा. जब ताकत हो तो तय करें कि कौन सी तस्वीर पहले पेज पर छपेगी और कौन सी छपेगी ही नहीं.'
लालू ने मीडिया से भी नाराजगी जताई. लालू ने कहा, 'जितने हमले उन पर हुए आज तक किसी पर नहीं जबकि वह हमेशा मीडिया की आजादी के लिए खड़े रहे. लेकिन नीतीश कुमार को तो खुदाई में भी अपना नाम चाहिए'. नीतीश ने सफाई देते हुए दावा किया कि उन्होंने आज तक किसी अखबार को किसी खबर के लिए फोन नहीं किया और न ही कभी जाएगा.
नीतीश ने लालू यादव के ट्विटर पर आने पर भी चुटकी ली. नीतीश ने कहा, 'जिस तरह चिड़िया चीं-चीं चें-चें करती है वैसे ही लालू यादव भी चेंचियाने लगे हैं.'