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नीतीश ने की गुजरात की तारीफ लेकिन मोदी पर निशाना

एक बार फिर नीतीश कुमार ने मोदी पर निशाना साधा है लेकिन थोड़े अलग अंदाज में. मोदी को लेकर उनके तेवर में तल्खी नहीं थी और ना ही गर्मी थी वो गुजरात की तारीफ कर रहे थे, लेकिन उस तारीफ का मतलब तारीफ नहीं बल्कि कुछ और है.

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एक बार फिर नीतीश कुमार ने मोदी पर निशाना साधा है लेकिन थोड़े अलग अंदाज में. मोदी को लेकर उनके तेवर में तल्खी नहीं थी और ना ही गर्मी थी वो गुजरात की तारीफ कर रहे थे, लेकिन उस तारीफ का मतलब तारीफ नहीं बल्कि कुछ और है.

ये है मोदी पर हमले की नीतीश नीति. ज्यादा दिन नहीं बीते जब मोदी की छवि को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे थे और प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी को लेकर शर्तें रखी जा रही थीं. आपको याद होगा कि बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के तेवर कितने तल्ख थे.

नीतीश ने मोदी की जातिवाद वाली टिप्‍पणी पर कहा था कि चलनी दूसे सूप को. नरेंद्र मोदी को लेकर नीतीश बाबू के विचार ज्यादा नहीं बदले. हां, हमले का तरीका बदल गया है. मोदी पर हमले का हथियार बदल गया है. बिहार के मुख्यमंत्री गुजरात की तारीफ करते नहीं थक रहे.

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नीतीश ने संवाददाताओं से कहा कि गुजरात से कोई बैर थोड़े ही है. गुजरात तो बापू की जन्‍म भूमि है. कृष्‍ण भी गुजरात के द्वारका गए थे. गुजरात शुरू से विकसित राज्‍य रहा है.

लेकिन नीतीश की इस तारीफ में बहुत कुछ छिपा है. नीतीश बाबू का मतलब शायद य़े है कि गुजरात विकसित राज्य तो है, लेकिन इसके पीछे मोदी नहीं है बल्कि मोदी का सूबा पहले से ही विकसित है.

मोदी और गुजरात की बात इस सवाल से शुरु हुई कि पटना की सूरत सुधारने के लिए अहमदाबाद से एक्सपर्ट क्यों बुलाए जा रहे हैं. नीतीश बाबू ने तपाक से सवाल पर सवाल पूछ लिया कि आपको गुजरात से कोई परेशानी है क्या.

आपको य़ाद होगा कि नरेंद्र मोदी पर नीतीश कुमार ने चंद दिनों पहले जमकर निशाना साधा था. उनके पीएम उम्मीदवार बनने की शर्ते रख दी थीं. बिना नाम लिए नीतीश कुमार ने ये कहा था कि पीएम का उम्मीदवार किसी विकसित राज्य से नहीं होना चाहिए. जाहिर है उसी विकसित और अविकसित राज्य के बहस को नीतीश आगे बढ़ा रहे हैं.

नीतीश के लहजे में, एक एक अल्फाज में मोदी का विरोध छिपा है. वो बिना नाम लिए और बिना सीधा वार किए मोदी पर हमला कर रहे हैं.

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