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कॉलेजियम सिस्टम और NJAC में ये है अंतर...

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए एनजेएसी को शुक्रवार को रद्द कर दिया. बता दें कि एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए यह कमिशन बनाया था.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए एनजेएसी को शुक्रवार को रद्द कर दिया. बता दें कि एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए यह कमिशन बनाया था. वर्तमान में पिछले 22 साल से सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम जजों की नियुक्ति करता रहा है.

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कॉलेजियम सिस्टम और एनजेएसी में क्या अंतर है?

1. एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त‍ि आयोग) सरकार द्वारा प्रस्तावित एक संवैधानिक संस्था है, जिसे जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम की जगह लेने के लिए बनाया गया था. वहीं, कॉलेजियम सिस्टम के जरिये पिछले 22 साल से जजों की नियुक्ति की जा रही है.

2. एनजेएसी में 6 सदस्यों का प्रस्ताव था. देश के चीफ जस्टिस को इस कमिशन का प्रमुख बनाने की बात कही गई थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट के 2 वरिष्ठ जजों, कानून मंत्री और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं 2 जानी-मानी हस्तियों को बतौर सदस्य शामिल करने की बात थी.

3. कॉलेजियम सिस्टम में चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों का एक फोरम जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है.

4. संविधान में कॉलेजियम सिस्टम का कहीं जिक्र नहीं हैं. यह सिस्टम 28 अक्टूबर 1998 को 3 जजों के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिए प्रभाव में आया था.

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5. एनजेएसी में जिन 2 हस्तियों को शामिल किए जाने की बात कही गई थी, उनका चुनाव चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता या विपक्ष का नेता नहीं होने की स्थिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता वाली कमिटी करती. इसी पर सुप्रीम कोर्ट को सबसे ज्यादा ऐतराज था.

6. एनजेएसी को चुनौती देने वाले लोगों ने दलील दी थी कि जजों के सिलेक्शन और अपॉइंटमेंट का नया कानून गैरसंवैधानिक है. इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा. वहीं केन्द्र ने इसका बचाव करते हुए कहा था कि 20 साल से ज्यादा पुराने कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां थीं.

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