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NSG में भारत की एंट्री के लिए बड़ी रुकावट बन सकते हैं चीन समेत 6 देश, आज आख‍िरी बैठक

चीन के अलावा ब्राजील, ऑस्ट्रिया और न्यूजीलैंड ने यह कहते हुए भारत की एंट्री का विरोध किया है कि यह गैर-एनपीटी देश है. आयरलैंड और तुर्की ने भी भारत का विरोध किया. हालांकि, मेक्सिको ने भारत का समर्थन किया है.

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चीन ने कई देशों के साथ मिलकर रची साजिश
चीन ने कई देशों के साथ मिलकर रची साजिश

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न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की बैठक एक बार फिर शुरू हो चुकी है. अभी तक भारत की एंट्री पर गतिरोध कायम है. गुरुवार को एनएसजी में भारत को शामिल करने पर आम सहमति नहीं बन पाई थी. चीन के अलावा ब्राजील, ऑस्ट्रिया और न्यूजीलैंड ने यह कहते हुए भारत की एंट्री का विरोध किया है कि यह गैर-एनपीटी देश है. आयरलैंड और तुर्की ने भी भारत का विरोध किया. हालांकि, मेक्सिको ने भारत का समर्थन किया है.

बैठक में पाकिस्तान के नाम पर चर्चा भी नहीं
साउथ कोरिया की राजधानी सोल में इस मुद्दे पर जारी स्पेशल सेशन में भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान की एनएसजी में एंट्री को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई. पाकिस्तान ने एनएसजी में एंट्री की भारत की उम्मीदों पर पानी फेरने की कोशिश भी की.

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पाकिस्तान ने भारत की सदस्यता का किया विरोध
वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने SCO सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. उन्होंने जिनपिंग से कहा कि एनएसजी मेंबरशि‍प को लेकर भारत को किसी तरह की छूट मिलती है तो इससे साउथ एशिया में सामरिक स्थि‍रता को नुकसान होगा.

पीएम मोदी ने मांगी चीन से मदद
इससे पहले एनएसजी की सदस्यता के लिए चीन से समर्थन मांगते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. पीएम ने अनुरोध किया कि भारत के आवेदन का निष्पक्ष और उद्देश्यपरक मूल्यांकन किया जाए जो सोल में चल रहे 48 देशों के समूह के पूर्ण अधिवेशन के सामने है.

भारत की दलील पर चीन से विचार करने की अपील
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के अनुसार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन से इतर शी जिनपिंग से मुलाकात में मोदी ने कहा कि भारत के मामले में निर्णय उसके अपने गुणों को देखकर किया जाना चाहिए और चीन को सोल सम्मेलन में उभर रही आम-सहमति में योगदान देना चाहिए. करीब 50 मिनट चली मुलाकात एनएसजी में भारत के प्रवेश पर चीन के कड़े विरोध की पृष्ठभूमि में हुई है. यह समूह परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार और निर्यात समेत परमाणु क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को देखता है.

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हालांकि चीन की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर स्वरूप ने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, 'आप जानते हैं कि यह एक जटिल और नाजुक प्रक्रिया है.' स्वरूप ने यह भी कहा कि मोदी-शी की मुलाकात में अधिकतर समय एनएसजी के मुद्दे पर बात हुई.

जिनपिंग से बातचीत में NSG मुद्दा रहा मुख्य
जब पूछा गया कि क्या भारत ने एनएसजी की सदस्यता के भारत और पाकिस्तान के प्रयासों को अलग करके देखने की जरूरत पर जोर दिया तो उन्होंने कहा, 'आपने सुना कि प्रधानमंत्री ने शी जिनपिंग से कहा कि चीन को भारत के आवेदन का उसके अपने गुणों के आधार पर निष्पक्ष और उद्देश्यपरक मूल्यांकन करना चाहिए और चीन को सोल में उभरती आम-सहमति में शामिल होना चाहिए'.

बहरहाल, मोदी का अनुरोध अभी तक चीन के रूख में बदलाव नहीं ला पाया है लेकिन एनएसजी की दो दिवसीय पूर्ण बैठक के आखिरी दिन शुक्रवार को क्या होता है, इसे देखना फिलहाल बाकी है.

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