पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने कहा है कि मुंबई हमले की साजिश रचने वाले हाफिज सईद को गिरफ्तार करने के लिए भरोसेमंद सबूत नहीं थे. उन्होंने बाबरी मस्जिद कांड का हवाला देते हुए उसकी तुलना नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले से कर दी.
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सरल वीजा समझौते को लागू करने पहुंचे मलिक पाकिस्तानी सेना द्वारा करगिल हीरो कैप्टन सौरभ कालिया को दी गई यातना के मुद्दे को भी खारिज करते नजर आए. भारत की ओर से तमाम दबाव के बावजूद मलिक ने हाफिज सईद के खिलाफ कर्रवाई करने के संबंध में कोई संकेत नहीं दिए.
तीन दिन के दौरे पर भारत पहुंचे मलिक, ‘मुझे हाफिज सईद से कोई प्रेम नहीं है. यदि मुझे आज सूचना मिली, तो मैं यहां से जाने से पहले उसकी गिरफ्तार के आदेश दूंगा.’ मलिक और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की उपस्थिति में लागू हुए इस वीजा समझौते पर दोनों देशों के बीच सितंबर में हस्ताक्षर हुआ था.
मलिक ने लश्कर-ए-तय्यबा के आतंकवादी अजमल कसाब के संबंध में महज एक बयान दिया. कसाब को 21 नवंबर को फांसी दी गई थी. नवंबर 2008 में हुए हमले के संबंध में महज कसाब का बयान सईद के खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए और परिपुष्टि की आवश्यकता है.’
पाकिस्तान में सईद के स्वतंत्र रूप से विचरने और भारत-विरोधी बयानबाजी करने के संबंध में नई दिल्ली ने कड़े शब्दों में चिंता जाहिर की है. समझौते पर हस्ताक्षर के बाद मलिक ने कहा कि कोई भी मुंबई विस्फोट, समझौता विस्फोट और बाबरी मस्जिद कांड को दोहराते हुए नहीं देखना चाहता.
मलिक ने कहा, ‘हम कोई 9-11 नहीं चाहते. हम कोई बंबई विस्फोट नहीं चाहते, हम कोई समझौता एक्सप्रेस नहीं चाहते, हम कोई बाबरी मस्जिद कांड नहीं चाहते और हम साथ मिलकर ना सिर्फ भारत और पाकिस्तान बल्कि क्षेत्र की शांति के लिए काम कर सकते हैं.’
मई 1999 में कैप्टन कालिया को दी गई यातना पर हो रहे विवाद पर मलिक ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि उनकी मौत ‘पाकिस्तानी गोली हुई है या मौसम से.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने मामले की जांच नहीं की है. यह अभी मेरे संज्ञान में आया है. जब सीमा पर युद्ध चल रहा था, तो हमें वाकई नहीं मालूम कि वे पाकिस्तानी गोली से मरे हैं या मौसम से?’