पाकिस्तान के प्रमुख अखबारों में इस बात पर गहरा खेद जताया गया है कि भारत-पाक विदेशमंत्री स्तरीय वार्ता से कुछ नतीजा नहीं निकला और इसमें महज बातचीत जारी रखने का वादा किया गया.
देश का सबसे पुराना दैनिक अखबार ‘डॉन’ लिखता है कि पाकिस्तान और भारत किसी बात पर राजी नहीं हो सके. ‘नहीं मिली कोई साझा जमीन’ शीषर्क से अखबार लिखता है कि विश्वास पैदा करने के लिए पाकिस्तान-भारत संवाद एक गतिरोध पर जाकर खत्म हो गया क्योंकि दोनों पक्ष विश्वास बहाली के उपायों पर आपसी सहमति से किसी स्पष्ट रोडमैप पर नहीं पहुंचे.
‘नहीं हुई तरक्की’ शीषर्क से ‘डॉन’ ने लिखा है कि कुरैशी-कृष्णा की बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकला लेकिन ‘और बातचीत का एक वादा’ जरूर हुआ. अखबार लिखता है कि बातचीत विफल हो गई, इसलिए नहीं कि इसमें जरूरी गति की कमी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि भारत भावी संवाद के लिए एक खास रोडमैप पर राजी नहीं हुआ, जबकि पाकिस्तान चाहता था कि जम्मू कश्मीर और सियाचिन के मुद्दे शामिल किए जाएं.
{mospagebreak}दूसरी ओर ‘द न्यूज’ ने भारत-पाक विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता को अपने संपादकीय में सही दिशा में उठाया गए ‘छोटे छोटे कदम’ बताया है. अखबार लिखता है, ‘‘इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि दोनों नेता एक दूसरे के सामने बैठे और नपे-तुले अंदाज में बोले. वो चाहते थे कि उनकी कही किसी बात का कोई गलत अर्थ नहीं निकाले. फिर भी, उन्होंने जो कुछ कहा, वह बहुत कम था और इसमें बात को गलत समझने की ज्यादा गुंजाइश नहीं थी.’’
अखबार लिखता है कि गौर से देखें तो कुछ सकारात्मक चिह्न हैं, पहला यह कि दोनों ने उम्मीद से ज्यादा समय तक विचार विमर्श किया, जो इस बात का संकेत है कि उन्होंने एक एजेंडे के साथ टेबल पर बैठने की कम से कम तैयारी तो की है.
अखबार के मुताबिक, दूसरी बात यह है कि दोनों पक्ष इसे दोहराने जा रहे हैं, क्योंकि हमारे विदेशमंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष के न्यौते को मंजूर कर लिया. तीसरी बात यह कि कुछ मुद्दों को आसानी से सुलझाया जा सकता है जिन पर विचार विमर्श करने के लिए दोनों पक्ष इच्छुक हो सकते हैं.