एक ओर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अपने शासन का डंका बिहार में बजा रहे हैं. दूसरी ओर दिल्ली में उनकी ही सरकार के विभाग सिटिजन चार्टर पर अमल नहीं कर रहे हैं.
दिल्ली आजतक के हाथ लगे एक्सक्लूसिव कागजात बता रहे हैं कि दिल्ली के 41 विभागों में से लगभग आधे ने सिटिजन चार्टर से जुड़ी जानकारी सरकार को मुहैया नहीं कराई है. वह भी तब, जब खुद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी विभागों को खुद लिखकर जानकारी मांगी है.
मामला सिटिजन चार्टर लागू करने से जुड़ा है. केजरीवाल सरकार बनी, तो जनता की समस्याओं को दूर करने की बात हुई. लोगों की बात कैसे सुनी जाए, उन्हें सरकार से कैसे जोड़ा जाए, हर मसले पर सरकार ने अपनी रणनीति तैयार की. दिल्ली वालों का काम एक तय समय में हो, इसे लेकर सिटिजन चार्टर बनाने पर चर्चा हुई.
सरकार की ओर से खुद डिप्टी सीएम ने सभी विभागों को लिखा कि वे जल्द से जल्द सिटिजन चार्टर लागू करने का प्लान भेजें, लेकिन अब तक सभी विभागों से जानकारी नहीं मिल पाई है.
दरअसल, दिल्ली आजतक के पास जो जानकारी है, वह सिटिजन चार्टर की अब तक की कहानी बयां करती है. तकरीबन दो महीने पहले सभी विभागों के मुखिया को बुलाकर मनीष सिसोदिया ने उनके विभागों में लोगों से जुड़े काम की जानकारी मांगी. यह भी पूछा गया कि आखिरकार कितने दिनों के भीतर वो लोगों को अपने विभागों से जुड़ी सेवाएं मुहैया करा पाएंगे. सरकार से विभागों को क्या सहायता चाहिए, ये भी पूछा गया. लेकिन कई विभागों ने या तो जानकारी ही नहीं दी, या फिर दी, तो आधी-अधूरी.
कुल मिलाकर 41 विभागों में 22 ने अब तक पूरी जानकारी नहीं दी है. अब सब कुछ कछुए की रफ्तार से चल रहा है, तो विरोधी तो निशाना साधेंगे ही. अब सरकार के सामने चुनौती यह नहीं कि काम का बखान कैसे करें, बल्कि चुनौती यह भी है कि सरकार अपने विभागों को आम दिल्लीवालों से भी जोड़ने में कैसे कामयाब हो.