अगर आप काले धन की बाट जोह रहे हैं तो यह जान लें कि स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन की सरकारों ने इस बारे में किसी भी खाते के बारे में कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया है. वित्त मंत्री अरण जेटली ने मंगलवार को संसद को यह जानकारी दी.
राज्य सभा में एक लिखित सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और स्पेन ने कालाधन खातों के बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, खास मामलों में जहां अनुरोध किया गया उन देशों ने जरूरी सूचना उपलब्ध कराई है जिनके साथ भारत की कर संधि है.’
जेटली ने कहा कि देश के भीतर और विदेशों में रखे गए कालेधन के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई अनुमान नहीं है . इस मुद्दे पर सरकार तीन संस्थानों- एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम- की रिपोर्टों को जांच परख रही है.
साल 2012 में देश से बाहर ले जाये गये कालेधन के बारे में पूछे गये एक अन्य सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा छह लाख करोड़ रपये का आंकड़ा ग्लोबल फाइनेंसियल इंटिग्रिटी की रिपोर्ट पर आधारित है. यह वॉशिंगटन स्थित संगठन है.
सरकार ने मार्च 2011 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) को देश के भीतर और बाहर बिना हिसाब किताब वाली आय का अनुमान लगाने को कहा था. जेटली ने कहा कि इन संस्थानों की रिपोर्ट मिल गई है और यह सरकार इसकी जांच कर रही है.
उन्होंने कहा कि कालेधन की समस्या से निपटने के लिये सरकार ने कई कदम उठाए हैं और विदेशों में रखे कालेधन की समस्या से निपटने के लिये एक व्यापक विधेयक लोकसभा में पेश किया है.
(इनपुट: भाषा)