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वैज्ञानिकों का दावा, सतोपंथ ग्‍लेशियर के पास नहीं बनी कोई झील

वैज्ञानिकों ने हाल ही में सतोपंथ ग्‍लेशियर का मुआयना करने के बाद यह तथ्‍य उजागर किया है कि अलकनंदा नदी ने कोई नई झील नहीं बनाई है. इससे पहले कुछ रिपोर्टों में ऐसा बताया गया था कि बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर अस्‍थाई झील बन गई है.

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वैज्ञानिकों ने हाल ही में सतोपंथ ग्‍लेशियर का मुआयना करने के बाद यह तथ्‍य उजागर किया है कि अलकनंदा नदी ने कोई नई झील नहीं बनाई है. इससे पहले कुछ रिपोर्टों में ऐसा बताया गया था कि बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर अस्‍थाई झील बन गई है.

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वाडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी और ग्‍लेशियर सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने ग्‍लेशियर के बारे में ताजा जानकारी दी है. उन्‍होंने बताया है कि सतोपंथ ग्‍लेशियर के पास अलकनंदा ने कोई झील नहीं बनाई है, बल्कि वह अलकनंदा का ही बहाव है. झील जैसा जो सफेद मेटेरियल नजर आ रहा है, वह ग्‍लेशियर वाले वातावरण में पाया जाना बेहद सामान्‍य बात है.

क्‍या है पूरा मामला...
इससे पहले, ऐसा कहा जा रहा था कि बद्रीनाथ से करीब 8 किलोमीटर दूर बने अस्थाई झील की स्थिति देखी गई है. रिपोट में बताया गया था कि भागीरथ खरक ग्लेशियर और सतोपंथ ग्लेशियर के बीच अलकनंदा नदी का रास्ता रुक गया है. भगयानु बैंक ग्लेशियर से नीचे आए मलबे ने अलकनंदा का रास्ता रोका है और रास्ते के रुकने से अस्थाई झील बन गई है.

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बताया गया था कि अलकनंदा नदी के रास्ते में बने इस अस्थाई झील का क्षेत्रफल करीब 2553 वर्गमीटर है, जिसमें करोड़ों गैलन पानी भरा हो सकता है. आशंका जताई गई थी कि अगर झील के किनारों में भारी बारिश से सेंध लगती है, तो फिर सैलाब की शक्ल में पानी अपने साथ मलबों को लेता हुआ निचले इलाकों को तबाह कर सकता है.

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