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कोर्ट के आदेश को ‘रद्द’ नहीं कर सकती विधायिका: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को व्यवस्था दी कि विधायिका किसी अदालत के फैसले को ‘सीधे तौर पर रद्द’ नहीं कर सकती.

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को व्यवस्था दी कि विधायिका किसी अदालत के फैसले को ‘सीधे तौर पर रद्द’ नहीं कर सकती. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल के उस कानूनी प्रावधान को समाप्त कर दिया जिसके तहत राज्य सरकार को दस काजू कारखानों के अधिग्रहण का अधिकार दिया गया था.

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कोर्ट के फैसले जो बन गए सुर्खी

न्यायाधीश राजन गोगोई व आर एफ नरीमन की पीठ ने केरल काजू फैक्टरी अधिग्रहण (संशोधन) कानून की धारा छह को ‘असंवैधानिक’ करार दिया और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह दस अधिग्रहीत काजू कारखानों का स्वामित्व उनके संबद्ध मालिकों को आठ सप्ताह के भीतर सौंप दे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘इस कोर्ट के अनेक फैसलों के तहत यह तय नियम है कि विधायिका किसी अदालत के फैसले को सीधे रद्द नहीं कर सकती.’ कोर्ट ने इन कारखानों के अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है.

कोर्ट ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला खारिज किया जाता है और यह आदेश दिया जाता है कि संशोधित कानून के तहत राज्य सरकार ने जिन काजू फैक्टरियों व जमीन का अधिग्रहण किया है उन्हें फैसले की घोषणा के आठ सप्ताह में लौटा दिया जाए.’

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उल्लेखनीय है कि कोर्ट का यह फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें केरल काजू फैक्टरीज (अधिग्रहण) कानून, 1974 व संशोधित कानून के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी. इन प्रावधानों से सरकार को निजी काजू फर्मों के अधिग्रहण का अधिकार मिला था. सरकार ने 1974 के कानून के तहत 46 काजू कारखानों का अधिग्रहण किया और यह मामला 1990 के दशक में सुप्रीम कोर्ट में आया था.

इनपुट-भाषा

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