किसी अपराध में अगर 18 साल से कम उम्र के किसी किशोर की संलिप्तता पाई जाती है तो उसे अब भी जुवेनाइल कानून के अनुसार छूट मिलेगी. सरकार ने बुधवार को साफ तौर कहा कि जुवेनाइल कानून के अंतर्गत उम्र कम करना देश के किशोरों के हितों के खिलाफ होगा.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने राज्य सभा में बताया कि किशोर न्याय अधिनियम में परिभाषित किशोर की उम्र में हम कोई बदलाव नहीं करने जा रहे, क्योंकि इससे देश में बच्चों के वृहत्तर हितों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. 18 वर्ष से नीचे के सभी किशोर हैं.
ज्ञात हो कि 16 दिसंबर को चलती बस में हुए सामूहिक दुष्कर्म में एक 17 वर्ष छह माह का आरोपी भी शामिल है. कथित रूप से उसी ने पीड़िता के साथ सबसे ज्यादा क्रूरता की जिससे घायल पीड़िता ने 29 दिसंबर को दम तोड़ दिया.
इस मामले के बाद किशोर की वैधानिक उम्र सीमा कम करने की पुरजोर मांग उठी है.
संसद के उच्च सदन में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए तीरथ ने का कि 16 दिसंबर के एक आरोपी को कठोर सजा दिलवाने के लिए किशोरों की उम्र सीमा कम करना अन्य के साथ अन्याय होगा. उन्होंने कहा कि दर्ज अपराधों में 0.1 प्रतिशत किशोर आरोपित हैं. इन मामलों में से कुछ गंभीर हैं जबकि कुछ कम गंभीर हैं.
उन्होंने कहा, "बच्चे को परामर्श देना चाहिए और बाल सुधार गृह भेजा जाना चाहिए. इस कदम से उन्हें बेहतर नागरिक बनने का अवसर मिल सकता है."
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि 16 दिसंबर को हुआ दुष्कर्म मामला एक अपवाद है. उन्होंने कहा कि वे उस मामले का उल्लेख नहीं कर रहीं.