संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त करने के लिए सीटों के न्यूनतम प्रतिशत की जरूरत नहीं है. लोकसभा सचिवालय ने एक आरटीआई के जवाब में ऐसा कहा है. हालांकि, इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिए जाने की मांग को खारिज कर दिया था. लेकिन, इस फैसले के दो महीने में आरटीआई से ये जवाब आया है.
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की अर्जी के जवाब में लोकसभा सचिवालय के अवर सचिव के सोना ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा, नेता प्रतिपक्ष के चयन के लिए कोई न्यूनतम प्रतिशत का प्रावधान नहीं है. गलगली ने आरटीआई के जरिए यह जानना चाहा था कि नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के लिए सीटों की अनिवार्य न्यूनतम संख्या क्या होनी चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 7 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखकर सदन में पार्टी के नेता मलिकार्जुन खड़गे को यह दर्जा देने की मांग की थी. सुमित्रा ने इस पत्र के जवाब में 14 अगस्त को कहा था कि लागू होने वाले प्रावधानों एवं पूर्व की परंपराओं पर विचार करने के बाद उनके अनुरोध को स्वीकार करना संभव नहीं है. उन्होंने सोनिया को लिखे पत्र में कहा कि संबद्ध विधानों के प्रावधानों और लोकसभा अध्यक्ष के निर्देशों (निर्देश 120 एवं 121) तथा पिछली परंपराओं पर विचार करने के बाद आपके अनुरोध को स्वीकार करना संभव नहीं पाया गया. इन पूर्व परंपराओं का पिछले करीब 60 साल में कई बार पालन किया गया जो विगत के कई प्रख्यात लोकसभा अध्यक्षों द्वारा किए गए निर्णयों पर आधारित हैं. बाद में अपने निर्णय का बचाव करते हुए सुमित्रा ने कहा था कि उनका फैसला नियमों एवं परंपराओं पर आधारित है.
उन्होंने एक नियम का हवाला दिया था, जिसमें किसी पार्टी के नेता को विपक्ष का नेता घोषित करने के लिए उसके पास सदन की न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए. बताया जाता है कि उन्होंने कहा था, मैंने नियमों एवं परंपराओं का अध्ययन कर और मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय लेने के बाद निर्णय किया है. किसी विपक्षी पार्टी के पास 55 से ज्यादा (सीटें) नहीं है. आज तक, सदन में न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटें होने (विपक्ष के नेता का दर्जा दिए जाने के लिए) का नियम नहीं बदला है. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि 1980 एवं 1984 में सदन में कोई विपक्ष का नेता नहीं था, क्योंकि किसी पार्टी के पास अपेक्षित संख्या नहीं थी.
लोकसभा सचिवालय ने आरटीआई कार्यकर्ता को यह भी सूचित किया है कि पहली, दूसरी, तीसरी, पांचवीं, छठी, सातवीं और आठवीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहा. उसने कहा कि संस्थानों एवं आयोगों के प्रमुखों के चयन के लिए विपक्ष के नेता की जरूरत संबंधी सवाल को कानून एवं विधि मंत्रालय के पास भेजा गया है.
(PTI से इनपुट)