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भारत-चीन विवाद का हल निकालना चमत्कार नहीं: एंटनी

भारत और चीन के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा की भावना के विकास का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि दोनों के बीच के विवादों को हल करने की वार्ता में समय लगेगा और वह किसी तरह के चमत्कार की उम्मीद नहीं कर रहे हैं.

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एके एंटनी
एके एंटनी

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भारत और चीन के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा की भावना के विकास का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि दोनों के बीच के विवादों को हल करने की वार्ता में समय लगेगा और वह किसी तरह के चमत्कार की उम्मीद नहीं कर रहे हैं.

एंटनी ने कहा, ‘यह सहयोग और प्रतिस्पर्धा है. दोनों पड़ोसी है और हमें मिलकर काम करना है. कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमारे संबंध बढ़ रहे हैं और कुछ क्षेत्रों में विवाद है जहां हम बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं. मैं इनके हल के लिए किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं कर रहा हूं, इसमें समय लगेगा.’ उन्होंने कहा कि सम्पूर्णता में दोनों देशों में संबंध बेहतर हो हैं.

भारत के सीमा पर अपनी क्षमता को मजबूत बनाना जारी रखने का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विकसित होती अर्थव्यवस्था के साथ चीन एक आधुनिक देश है और वह सैन्य बलों और सीमाओं पर अर्थव्यवस्था को मजबूत बना रहा है.

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एंटनी ने कहा, ‘भारत एक विकासशील देश है, भारत की अर्थव्यवस्था की बढ़ रही है और यह स्वभावित है कि हम सीमाओं से लगी भारतीय भूमि पर अपनी क्षमता और आधारभूत संरचना को मजबूत बना रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि भारतीय सेना अब पहले से बेहतर रूप से तैयार है और दुनिय में सर्वश्रेष्ठ बलों में इसका शुमार होता है तथा देश की सीमाएं, थल, जल और वायु, काफी, काफी सुरक्षित हैं.

उन्होंने कहा, ‘अब भारतीय सशस्त्र बल बेहतर रूप से तैयार है और उनका हौसला काफी बुलंद है. हमारी सीमाएं बहुत सुरक्षित हैं, हमारा देश सुरक्षित हाथों में है. मुझे हमारी सशस्त्र सेनाओं पर नाज है.’

रक्षा मंत्री ने कहा कि ऐसा भी दौर था जब विकसित देश भारत को आधुनिक नहीं मानते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है और अब हर कोई हमारी सशस्त्र सेनाओं के साथ करीबी सहयोग चाहता है.

एंटनी ने कहा, ‘समय बदल गया है, आप पुरानी बातें भूल गए है. अब भारतीय सेना पहले से बेहतर ढंग से तैयार है. अब हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बलों में से एक है.’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेना का अब दुनिया के 48 देशों के साथ रक्षा सहयोग है और दुनिया की सभी नौसेनाएं भारत के साथ संयुक्त सैन्य अभ्‍यास चाहती हैं.

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