रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी पर बड़ा आरोप लगाया है. फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर पर्रिकर ने कहा है कि एंटनी ने टेंडर प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाया था.
यूपीए सरकार के समय हुए 126 राफेल लड़ाकू विमानों के प्रस्तावित सौदे को ‘आर्थिक रूप से अव्यावहारिक’ और गैर जरूरी बताते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि राजग सरकार केवल 36 फ्रांसीसी लड़ाकू विमान खरीदेगी, जिनका इस्तेमाल रणनीतिक उद्देश्य से किया जाएगा.
पर्रिकर ने पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा शुरू की गई निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए और कहा कि एंटनी ने निविदा प्रक्रिया में इस तरह रोड़े डाले कि राफेल सौदा कभी लागू नहीं हो पाए.
उन्होंने कांग्रेस की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्रालय और सैन्य परियोजनाओं पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की शीर्ष इकाई रक्षा खरीद परिषद की अवहेलना की. पर्रिकर ने कहा कि सौदे पर अभी दस्तखत हुए नहीं हैं और उन्हें प्रक्रिया पूरी होने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए.
उन्होंने विश्वास जताया कि करार पर काम करने के लिए बनाई गई समिति अगले दो-तीन महीने में काम पूरा कर लेगी.
मोदी सरकार ने 126 राफेल विमानों के 20 अरब डॉलर से ज्यादा के सौदे को रद्द कर दिया, जिसके लिए करीब तीन साल पहले संप्रग के शासनकाल में दासॉल्ट को सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी घोषित किया गया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान सरकार से सरकार (जी2जी) करार के तहत उड़ान भरने की स्थिति में 36 राफेल खरीदने के फैसले की घोषणा की थी. पर्रिकर ने रेखांकित किया कि भारतीय वायुसेना की तत्काल जरूरत के मद्देनजर 36 राफेल विमानों को खरीदने का फैसला किया गया था.
जब रक्षा मंत्री से पूछा गया कि शेष जरूरत का क्या होगा, तो उन्होंने बताया, 'हम बाकी विमानों को नहीं खरीद रहे. हम केवल सीधे 36 विमानों को खरीद रहे हैं.'
पर्रिकर ने कहा कि 126 राफेल विमान खरीदने के लिए संप्रग का सौदा बहुत महंगा था और यह भारतीय सेना की अन्य आधुनिकीकरण योजनाओं को बाधित करता. उन्होंने कहा कि सौदे के लिए 10 से 11 साल की अवधि में करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ती.
'मैं बीएमडब्ल्यू का खर्च नहीं उठा सकता'
पर्रिकर ने आगे कहा, 'क्या अन्य किसी काम के लिए पैसा रहता?' रक्षा मंत्री ने कहा, 'मैं भी महसूस करता हूं कि मेरे पास बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज हो, लेकिन मैं
नहीं रखता क्योंकि मैं इसका खर्च नहीं उठा सकता. पहली बात तो मैं इसका खर्चा नहीं उठा सकता और दूसरी बात कि मुझे इसकी जरूरत नहीं है. इसलिए
126 राफेल विमान आर्थिक रूप से अव्यावहारिक हैं. ये जरूरी नहीं हैं.'
बहुभूमिका वाले मध्यम लड़ाकू विमानों की निविदा प्रक्रिया को लेकर एंटनी को आड़े हाथ लेते हुए पर्रिकर ने हैरानी जताते हुए कहा कि एंटनी राफेल की निर्माता फ्रांसीसी कंपनी दॉसाल्ट एविएशन के लिए जोर क्यों दे रहे थे.
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राफेल विमान एमआईजी-21 विमानों की जगह नहीं ले सकते. उन्होंने कहा कि एमआईजी की जगह स्वदेश निर्मित तेजस हल्के लड़ाकू विमान लेंगे.
जब पूछा गया कि राफेल सौदे से मान लिया जाए कि मोदी सरकार रक्षा में रणनीतिक परिसंपत्तियों के लिए केवल जी2जी समझौतों के माध्यम से ही काम करेगी, तो पर्रिकर ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया सरकार को जी2जी तरीका अपनाने से नहीं रोकती.