केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के प्रमुख एपी सिंह ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में कोई कितना भी बड़ा और ताकतवर रहा हो, किसी को नहीं बख्शा गया.
सीबीआई निदेशक पद से जल्द सेवानिवृत्त होने वाले सिंह ने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि ताकतवर लोगों से जुड़े मामलों में जांच के दौरान एजेंसी को राजनीतिक हस्तक्षेप से जूझना पड़ता है.
सिंह ने कहा, ‘मुझे ऐसा नहीं लगता, क्योंकि पूरे मामले की निगरानी उच्चतम न्यायालय कर रहा है. उनकी हमारे हर कदम पर निगाह है. जांच आग्रह पत्र की वजह से कुछ मामले लंबित हैं. जब अनुरोध पत्र आएगा हम उनकी जांच करेंगे.’ सिंह शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उनसे पूछा गया था कि क्या 2जी आवंटन मामले जांच पड़ताल के बाद कुछ बड़े लोगों को छोड़ दिया गया.
सीबीआई के काम में राजनीतिक दखल के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि जांच एजेंसी की जांच में किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता.
उन्होंने कहा, ‘जांच के दौरान हम सिर्फ निचली अदालत के प्रति जवाबदेह होते हैं. हमें कोई निर्देश नहीं दे सकता. उच्चतम न्यायालय निगरानी कर रहा है, उच्च न्यायालय निगरानी कर रहा है. हां, हम उनकी ओर से दबाव में हैं, लेकिन कोई भी राजनीतिक व्यक्ति हमसे यह नहीं कह सकता कि हमें क्या करना है.’
सीबीआई के निदेशक ने कहा कि लोग अपनी ओर से जांच करने और निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा, ‘सीबीआई राजनीतिक हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त है. हमारे अधिकारी मुक्त तरीके से निष्पक्षता से काम करते हैं. मैं 2जी और अन्य मामलों के उदाहरण देता हूं कि कई तरह के विचार बनाए जाते हैं. अलग-अलग विचार इसलिए बनते हैं क्योंकि जिसको जो लगता है वह लिखता है. अन्यथा अलग-अलग विचार का मामला ही नहीं बने. वही होता है जो निदेशक निर्णय लेता है.’ उनके कार्यकाल के दौरान संगठन के समक्ष आई चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि अत्याधुनिक अपराध विज्ञान शोधशाला की कमी एजेंसी के लिये सबसे बड़ी कमी रही है.
‘आपके पास आधुनिक फारेंसिक लैबोरेटरी होनी चाहिये. हम काफी पीछे हैं. भंवरी देवी मामले में हमें हड्डियों को जांच के लिये एफबीआई को भेजना पड़ा. और भी कई मामले हैं, मानवबल की कमी तथा अन्य मुद्दे भी हैं. जब मैं सीबीआई में आया था तब यह 20 प्रतिशत थी अब 12 प्रतिशत है लेकिन अभी भी आवश्यकता है.’
सिंह ने माना कि सीबीआई संगठन से जुड़े मुद्दों को देखने का उन्हें कभी मौका नहीं मिल पाया, क्योंकि पहले ही दिन से वह घोटालों की जांच में ही लगे रहे. ‘कई चुनौतियां हैं. सीबीआई को बहु विषयक एजेंसी बनाने की आवश्यकता है. आपको दूसरी एजेंसियों और विशेषज्ञ संगठनों से लोगों को आकषिर्त करना चाहिये.
सीबीआई के ढांचे में बदलाव की आवश्यकता है.’ कोयला खान आवंटन घोटाले की धीमी जांच के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह रही कि मानवबल की कमी के साथ साथ यह मामला तीन मंत्रालयों और 142 कंपनियों से जुड़ा है. इसके लिये समय और उपयुकत मानवबल चाहिये.