अयोध्या के विवादित स्थल के मामले में स्वामित्व विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि इससे राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है लेकिन इसे किसी की विजय या किसी की पराजय के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
अदालत के फैसले के बाद लोगों से संयम बरतने की अपील करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने संघ मुख्यालय केशव कुंज में संवाददाताओं से कहा ‘यह मंदिर राष्ट्रीय मूल्यों का प्रतीक है. भगवान राम भारत की समृद्ध, समावेशी, सहिष्णु और एक दूसरे का ख्याल रखने वाली संस्कृति का प्रतीक हैं और मुसलमानों समेत समाज के सभी लोगों को मिलजुल कर इस राष्ट्रीय प्रतीक को स्थापित करना चाहिये.’
उन्होंने कहा ‘राम मंदिर आंदोलन का स्वरूप कभी भी प्रतिक्रियात्मक नहीं रहा और यह किसी विशेष समुदाय के खिलाफ भी नहीं है.’ भागवत ने कहा, ‘पिछली बातों और कटुता को भूलकर राष्ट्रीय एकता के प्रतीक राममंदिर को स्नेह भाव से बनाने में जुट जाना चाहिये. हम मुस्लिमों सहित सबको मंदिर निर्माण में सहयोग देने का आह्वान करते हैं.’ {mospagebreak}
उन्होंने कहा ‘अदालत के फैसले से आनंदित होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें अपनी भावना नियंत्रित, संयमित और शांतिपूर्ण ढंग से प्रकट करनी चाहिए लेकिन यह कानून और संविधान की मर्यादा में हो. ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए, जिससे दूसरे को ठेस पहुंचे.’
अयोध्या मामले में अदालत के फैसले पर किसी तरह के उकसाने वाली गतिविधि से बचने की अपील करते हुए भागवत ने कहा ‘हमें अपने विगत के अनुभवों से उपर उठकर सहिष्णुता और सभी लोगों को साथ लेकर चलने की राष्ट्रीय संस्कृति आगे बढ़ाने और अपनी विविधतापूर्ण, बहुभाषी, बहुधर्मी समाज के एकताबद्ध, अनुशासित और संघर्ष से मुक्त स्वरूप को पेश करना चाहिए.’
सरसंघचालक ने कहा कि वह इस अवसर पर हृदय से मुसलमानों समेत सभी देशवासियों को पिछले कटुतापूर्ण अनुभवों को भूलकर न्यायपालिका के इस फैसले का स्वागत करने का आग्रह करते हैं. राम मंदिर आंदोलन में मारे गए कारसेवकों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा ‘हम इस अवसर पर निर्णय सुनाने वाले सभी न्यायाधीशों, कानूनी प्रक्रिया में शामिल सभी वकीलों, राम मंदिर आंदोलन चलाने वाले संतों और देश के सभी नागरिकों को बधाई देते हैं और उनका स्वागत करते हैं.’ {mospagebreak}
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बहुमत से यह फैसला सुनाया कि अयोध्या में विवादित भूमि को तीन समान भागों में हिंदुओं और मुसलमानों में बांट दिया जाए और जहां भगवान राम का अस्थायी मंदिर है उसपर हिंदुओं का हक होगा.
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ढांचे वाली विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर पिछले 60 वर्ष से लंबित इस संवेदनशील मामले में अपने अलग अलग फैसलों में न्यायमूर्ति एसयू खान और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि तीन गुंबदों वाले ढांचे के बीच के गुंबद वाला भाग, जहां भगवान राम विराजमान हैं, हिंदुओं का है. तीन न्यायाधीशों वाली लखनऊ पीठ ने बहुमत से यह व्यवस्था दी कि विवादित स्थान पर तीन महीने के लिए यथास्थिति बहाल रखी जानी चाहिए.