माकपा ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) या बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ गठबंधन नहीं करेगी.
पार्टी की दलील है कि वह लोगों को एक दूसरा विकल्प मुहैया कराएगी. माकपा के पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा, ‘यूपीए से गठबंधन का तो कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि हमारा राजनीतिक रुख यह है कि हम देश की जनता को कांग्रेस और बीजेपी की बुनियादी नीतियों का विकल्प मुहैया कराएं.’
उन्होंने यूपीए की ओर से किसानों के लिए घोषित 52,000 करोड़ रुपए की कर्ज माफी योजना में कथित अनियमितता की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की. गौरतलब है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में किसानों की कर्ज माफी योजना में कथित अनियमितता को उजागर किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के तहत किसानों को कर्ज नहीं मिल रहा था जिससे वे भारी कर्ज में डूबे हैं. बृंदा ने कहा कि माकपा का जोर कांग्रेस और बीजेपी की आर्थिक नीतियों के खिलाफ है.
उन्होंने यह भी कहा, ‘हम कट्टरपंथ और सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं.’ माकपा नेता ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी देश के सामने मौजूद चुनौतियों और बुनियादी मुद्दों के निदान में बुरी तरह नाकाम रहे हैं.