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'राजीव गांधी हत्‍या कांड की दोषी नलिनी की समय पूर्व रिहाई नहीं'

तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही नलिनी की जेल से बाहर मुक्त जीवन जीने की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए उसके समय पूर्व रिहाई के अनुरोध को सोमवार को खारिज कर दिया.

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तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही नलिनी की जेल से बाहर मुक्त जीवन जीने की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए उसके समय पूर्व रिहाई के अनुरोध को सोमवार को खारिज कर दिया.

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राज्य सरकार ने यह फैसला सलाहकार बोर्ड द्वारा यह कहने के बाद किया है कि उसका अपराध जघन्य है और उसे इसके बारे में कोई खेद नहीं है. सरकार के निर्णय से मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ को महाधिवक्ता पी एस रमन ने अवगत कराया. रमन ने खंडपीठ को बताया कि नलिनी के ज्ञापन पर विचार के लिए सरकार द्वारा गठित कारावास सलाहकार बोर्ड ने आठ आधार पर उसके अनुरोध को खारिज कर दिया.

सरकार ने बोर्ड के फैसले को स्वीकार किया है. न्यायमूर्ति ई धर्म राव और न्यायमूर्ति के के शशिधरन की खंडपीठ जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका की सुनवाई कर रही थी. स्वामी ने एकल न्यायाधीश के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें राज्य सरकार को नलिनी की रिहाई के लिए सलाहकार बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया गया था. नलिनी पिछले 19 साल से जेल में बंद है.

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वेलूर जिला कलेक्टर सी राजेन्द्रन के नेतृत्व वाले सलाहकार बोर्ड ने 20 जनवरी को वेलूर कारावास में नलिनी और दो अन्य से उनका पक्ष सुना था. बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में नलिनी के अनुरोध को खारिज करने के आधार बताये हैं. बोर्ड ने कहा है कि उसका अपराध घृणित है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘नलिनी ने प्रमुख आरोपी को आश्रय दिया तथा वह आरोपी से जुड़ी थी. वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिए रची गयी साजिश का हिस्सा थी. इस हत्याकांड में 18 अन्य लोगों की भी जान गयी. हत्या की साजिश के बारे में उसे काफी पहले से पता था.’ इसमें कहा गया, ‘उसने डिग्री एवं डिप्लोमा हासिल कर लिया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उसका रुख बदल गया है. अभी तक वह अपना दोष स्वीकार नहीं कर रही है तथा उसे अपने कृत्य के लिए कोई खेद नहीं है.’ {mospagebreak}

बोर्ड ने यह भी कहा कि नलिनी को यदि रिहा किया गया और उसे उसकी मां और भाई के साथ रोयापीठा इलाके में (चेन्नई के) रहने दिया गया तो कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. नलिनी की मां और भाई को पूर्व में गिरफ्तार कर रिहा किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया, ‘उपरोक्त कारणों के मद्देनजर एक बच्ची की मां के रूप में तथा एक व्यक्ति के रूप में भी कैदी के 20 जनवरी के ज्ञापन को स्वीकार नहीं किया जा सकता.’

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अदालत ने 11 मार्च को राज्य सरकार से नलिनी के अनुरोध पर दो हफ्ते के भीतर निर्णय करने को कहा था. इससे पूर्व महाधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर किया जा रहा है. नलिनी को विशेष अदालत ने जनवरी 1998 में 25 अन्य के साथ मौत की सजा सुनायी थी. उच्चतम न्यायालय ने भी उसे तथा तीन अन्य को मृत्युदंड देने के निर्णय को वैध ठहराया. बहरहाल, राज्य सरकार ने 24 अप्रैल 2000 को उसकी क्षमादान याचिका को मंजूर करते हुए मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नलिनी की छोटी बच्ची की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए उसके दंड को कम करने का समर्थन किया था. नलिनी (44) की लड़की मेघा अब 18 साल की है और उसका पिता मुरूगन है. श्रीलंका के रहने वाले तमिल मुरूगन को इस मामले में मौत की सजा दी गयी थी.

इससे पूर्व भी अक्तूबर 2007 में नलिनी के समय पूर्व रिहाई के अनुरोध को अधिकारियों ने खारिज कर दिया था. स्वामी ने अदालत के बाहर कहा कि राजीव गांधी की हत्या में नलिनी की पूर्ण भागीदारी थी तथा उसकी सजा को कम किया जाना गलत था. उन्होंने कहा, ‘राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे. हमारे प्रधानमंत्री को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (लिट्टे) ने मारा था.’

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