देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने आजतक से बातचीत में कहा कि हम अयोध्या मामले को हिंदू बनाम मुस्लिम के नजरिए से नहीं देखते. अयोध्या मामले को लेकर हम पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है. यह मामला 1949 से लटका है. इस मसले को हम आस्था के हिसाब से भी नहीं देख रहे. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस मामले के फैसले पर सामाजिक प्रभाव के बारे में नहीं सोच रहे, यह हमारी चिंता का विषय नहीं है. बता दें कि जस्टिस बोबडे उन पांच जजों की पीठ का हिस्सा थे जिसने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की रोजाना सुनवाई की.
इंडिया टुडे टेलीविजन के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत में जस्टिस बोबडे ने कहा कि अयोध्या मामला कोई पोलिटिकल नहीं है. हिंदू बनाम मुस्लिम की राजनीति हो रही है. हम कोई राजनीतिक मामला नहीं हल कर रहे हैं. हम तो याचिकाकर्ताओं के दावे की जांच कर रहे हैं.
जस्टिस बोबडे 18 नवंबर को बतौर CJI शपथ लेंगे. 17 नवंबर को मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस बोबडे देश के 46वें चीफ जस्टिस होंगे.
जस्टिस बोबडे ने कहा कि कोई हारे जीते हमारा इससे कोई मतलब नहीं है. हम आस्था के नजरिए से इस मसले पर विचार नहीं कर रहे. हम तो ठोस सबूतों पर मामले को देखेंगे. जस्टिस बोबडे ने कहा कि हमें फैसला देना है. बाद में कोई क्या करता है उसे हम नहीं सोचते. हमें तो फैसला देने पर फोकस रखना है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
बता दें कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. उम्मीद की जा रही है कि नवंबर में ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला दे सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने 40 दिन तक लगातार सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे.