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महमूद मदनी का बयान गलत, मोदी हमें स्वीकार्य नहीं: अरशद मदनी

प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि वे नरेंद्र मोदी को कभी स्वीकार नहीं कर सकते. अरशद मदनी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित तारीफ से जुड़े महमूद मदनी के बयान को भी गलत करार दिया.

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प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि वे नरेंद्र मोदी को कभी स्वीकार नहीं कर सकते. अरशद मदनी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित तारीफ से जुड़े महमूद मदनी के बयान को भी गलत करार दिया.

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जमीयत (महमूद धड़ा) के महासचिव महमूद मदनी ने पिछले दिनों के आज तक से खास बातचीत में कहा था कि मोदी को लेकर मुसलमानों के रुख में बदलाव आया है. इस पर विवाद खड़ा हो गया, हालांकि बाद में महमूद मदनी ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने गुजरात के संदर्भ में बात कही थी.

इस मामले पर गुरुवार को जमीयत प्रमुख अरशद मदनी ने संवाददाताओं से कहा, 'उन्होंने (महमूद मदनी) मोदी को लेकर जो बयान दिया है, वह पूरी तरह गलत और जमीनी हकीकत से दूर है. देश में मुसलमानों के रुख में मोदी को लेकर कोई बदलाव नहीं आया है.'

उन्होंने कहा, 'सिर्फ मुस्लिम समाज ही नहीं, बल्कि देश में धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील सोच रखने वाले बहुसंख्यक समाज के लोग भी मोदी को स्वीकार नहीं करेंगे. देश का मिजाज लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष है, जिसमें मोदी जैसे नेताओं के लिए कोई जगह नहीं है.'

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शिंदे ने माफी नहीं मांगी, अफसोस जताया
अरशद मदनी ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की ओर से ‘हिंदू आतंकवाद’ को लेकर बुधवार को अफसोस जताने पर कहा, ‘यह कहना गलत है कि गृह मंत्री ने माफी मांगी है. उन्होंने ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात पर अफसोस जताया है. आतंकवाद के साथ हिंदू या मुस्लिम किसी भी धर्म का नाम नहीं जुड़ना चाहिए.’

मदनी ने कहा, ‘गृह मंत्री ने आतंकवाद के मामलों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और इससे जुड़े लोगों की संलिप्तता की बात कही है. यह मामला बहुत गंभीर है. सरकार को निर्णायक कार्रवाई करने की जरूरत है.'

जमीयत प्रमुख ने केंद्र सरकार से मांग की है कि आतंकवाद के आरोपों में बंद नौजवानों के मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के साथ उन मामलों में गिरफ्तार निर्दोष युवकों को रिहा किया जाए, जिनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह और कर्नल पुरोहित जैसे लोग गिरफ्तार किए गए हैं.

मदनी ने मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करने और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग भी की.

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