जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने से रोकने के लिये राज्य सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा नेता अरुण जेटली और सुषमा स्वराज ने वापस लौटने की केंद्र की अपील को ठुकरा दिया और प्रण किया कि वे श्रीनगर के लालचौक में बुधवार को तिरंगा लहराने के पार्टी के प्रस्तावित कार्यक्रम के लिये आगे बढ़ेंगे.
सुषमा ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम हमारे सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ लालचौक पर तिरंगा लहराने के लिये जम्मू और फिर कश्मीर घाटी की ओर आगे बढ़ेंगे. जहां कहीं हमें रोका जायेगा, हम वहां 26 जनवरी तक धरने पर बैठे रहेंगे.’ लोकसभा में विपक्ष की नेता ने कहा, ‘हम बुधवार की शाम छह बजे से पहले वहां से नहीं हटेंगे. हम फिर धरने पर बैठ जायेंगे. अगर वे हमें गिरफ्तार करना चाहें तो वे कहीं भी ऐसा कर सकते हैं.’
सुषमा, जेटली और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार को सोमवार को जम्मू से लौटा दिया गया था और उन्हें देर रात पंजाब से सटी सीमा पर माधोपुर में रावी नदी के एक पुल पर छोड़ दिया गया था. जेटली ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने उन्हें जम्मू हवाई अड्डे पर फोन किया था और कहा था कि वह दिल्ली लौट आयें, क्योंकि वह अपनी बात जाहिर कर चुके हैं. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक रूप से अस्थिर देश नहीं है कि हमें इस तरह से हिरासत में रखा जाये. वे हमें इस तरह बाहर नहीं कर सकते. जेटली ने कहा कि उन्होंने इस बारे में गृह मंत्री से बात की थी, जिस पर उन्होंने कहा था कि वह इस मामले को देखेंगे.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली ने जम्मू जाने वाली ट्रेनों को परिवर्तित करने के केंद्र के निर्णय को भी ‘आपराधिक कृत्य’ करार दिया और कहा कि सरकार ने जिस तरह ट्रेनों को परिवर्तित किया और नेताओं को बाहर कर दिया, वह बंधक बनाये जाने जैसा है. उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर के हालात वर्ष 1953 के मुकाबले बदतर हैं. वर्ष 1953 में लोगों को इस राज्य में प्रवेश करने के लिये परमिट की जरूरत होती थी. जेटली ने कहा, ‘लेकिन आज आप लोगों को उठाते हैं और उन्हें राज्य से बाहर फेंक देते हैं.’
सुषमा ने कहा कि हम श्रीनगर के लालचौक में कल राष्ट्रध्वज लहराने के लिये दृढ़ संकल्पित हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने सोमवार रात जम्मू में प्रशासन से कहा था कि या तो हमें गिरफ्तार कर लें या फिर हमें पार्टी रैली के लिये आगे बढ़ने दें. लेकिन उन्होंने हमें तीन वाहनों में अलग-अलग बिठाया और यहां पुल पर छोड़ दिया, जबकि हमसे कहा गया था कि हमें जम्मू की एक जेल में ले जाया जा रहा है.’ सुषमा ने कहा, ‘वे इस तरह के तरीके अपना रहे हैं. {mospagebreak}
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता से सच नहीं कहा गया और जिस तरह हमें भौतिक रूप से ले जाया गया वह अप्रत्याशित था और ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया था.’ चिदंबरम ने भाजपा नेताओं से अपील की कि वे ‘टकराव का रास्ता’ छोड़ें और ऐसा कोई ‘राजनीतिक एजेंडा’ आगे नहीं बढ़ायें जिससे जम्मू-कश्मीर की शांति पर प्रभाव पड़ता हो.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मैं (संसद के दोनों सदनों के) विपक्ष के नेताओं तथा उनके साथियों से अनुरोध करता हूं कि वे टकराव का रास्ता छोड़ें, दिल्ली लौट आयें और गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में होने वाले समारोह में भाग लें.’ जम्मू-कश्मीर सरकार ने पंजाब से सटी सीमा को सील कर दिया है और रावी नदी पर बने दोनों राज्यों को जोड़ने वाले पुल पर कंटीले तारों की बाड़ लगा दी है.