मैगी के अभी 35 करोड़ पैकेट बाजार में हैं और कंपनी इन्हें वापस लेने की प्रक्रिया में है. मैगी बैन पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई में कंपनी नेस्ले ने यह जानकारी दी. कंपनी के वकील ने अपने बचाव में कई तर्क पेश किए. उधर कोर्ट ने फिलहाल कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है और दोनों पक्षों से लिखित में दलीलें मांगी हैं.
नेस्ले के वकील ने कहा कि मैगी के टेस्टमेकर (मसाले) का इस्तेमाल नूडल के साथ ही होता है और इसे अलग करके नहीं जांचा जा सकता. इसे नूडल में मिलाकर ही खाया जाता है. इसलिए उसकी जांच भी नूडल में मिलाकर ही की जानी चाहिए. ऐसे में लेड की मात्रा 0.12 पीपीएमस से ज्यादा नहीं निकलेगी.
नेस्ले के वकील ने जांच पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अलग-अलग जगहों पर जांच में लेड की अलग-अलग मात्रा सामने आई है. कहीं यह 2 से लेकर 4 पीपीएम तक है, वहीं कोलकाता में तो यह 17 पीपीएम सामने आया है.
कोर्ट ने नहीं दिया कोई आदेश
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के वकील मोहम्मद प्राचा ने कहा कि नेस्ले की ओर से प्रोडक्ट बाजार से वापस लेने और पैकेट पर 'नो एमएसजी' न लिखने का वादा सिर्फ 'पीआर एक्सरसाइज' है और प्रोडक्ट अब भी बाजार में मौजूद है. उन्होंने कहा, 'वह खुद को जिम्मेदार कंपनी बताते हैं तो खुदरा विक्रेता उनकी जिम्मेदारी क्यों नहीं हैं?'
जस्टिस कनाडे ने कहा, 'हम फिलहाल कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रहे हैं. बिजनेस करने वालों को भी कोर्ट में अपील करने का हक है. लिखित में दलीलें जमा कर दीजिए. हम देखेंगे कि आपने क्या किया है. अगर उन्होंने कोई उल्लंघन किया है, तब ब्रांड एंबेसडरों को इस मामले में लाइए. लगता है कि आपकी ब्रांड एंबेसडरों में ज्यादा रुचि है.'
नेस्ले का कहना है कि वह पिछले तीस सालों से मैगी बेच रही है, जो कि 14 फैक्ट्रियों में बनती हैं. नेस्ले का दावा है कि कच्चे सामानों से लेकर पूरे प्रोडक्ट की जांच वह खुद तो करती ही है, साथ ही बाहर के कुछ लैब में भी उनकी जांच-पड़ताल करवाती है.
नेस्ले ने अपनी याचिका पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अनुवाद पर भी सवाल उठाए हैं. साथ ही कहा है कि FSSAI का आदेश इस एक्ट के सेक्शन 35 का उलंघन करता है.