गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार नक्सलियों से बातचीत नहीं करेगी. यह फैसला गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया.
बैठक के बाद गृह मंत्रालय से बयान जारी किया कि नक्सली बातचीत में विश्वास नहीं रखते. इसलिए सरकार उनसे कोई बातचीत नहीं करेगी. राजनाथ सिंह ने सुरक्षा, विकास और आदिवासी मुद्दे को लेकर दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में 10 राज्यों (छत्तीसगढ, ओडि़शा, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) के डीजीपी और सचिव शामिल हुए. मीटिंग में राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशकों ने अपने-अपने राज्य में नक्सल हिंसा की स्थिति, उससे निपटने के उपायों और आदिवासी इलाकों में विकास योजनाओं का ब्योरा पेश किया.
राजनाथ सिंह ने कहा कि नक्सलियों के साथ बातचीत का सरकार का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या के समाधान के लिए संतुलित रुख अपनाया जाएगा. अगर नक्सली हमला करेंगे, तो पलटकर जवाब दिया जाएगा. राजनाथ के गृहमंत्री बनने के बाद नक्सल समस्या को लेकर पहली बार राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ बात हुई है. गृह मंत्रालय के नक्सल प्रबंधन विभाग की तरफ से इस मौके पर नक्सल प्रभावित इलाकों में 2199 मोबाइल टॉवर लगाने जैसी योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट पेश की गई. करीब 500 किलोमीटर सड़कों का 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य करने की योजना है.
बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया कि नक्सलवाद को कुचलने के लिए एक विशेष फोर्स बनाई जाएगी, जो कि पूरी तरह से केंद्र सरकार की ओर से सहायता प्राप्त होगी. आंध्र प्रदेश, ओडि़शा और छत्तीसगढ़ से नक्सलियों के सफाए को प्राथमिकता दी जाएगी. आदिवासी इलाके में स्किल डेवलपमेंट पर भी जोर रहेगा. झारखंड और बिहार नक्सलियों से बेहतर तरीके से नहीं निपट पा रहे हैं. छत्तीसगढ़ औसत है. ओडिशा व महाराष्ट्र बेहतर तरीके से निपट रहे हें. ओडिशा और छत्तीसगढ़ ने हेलीकॉप्टर मंगाए हैं. छत्तीसगढ़ ने 2 हेलीकॉप्टर मंगाए हैं. इन राज्यों की ये मांग रक्षा मंत्रालय तक पहुंचा दी गई है.