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'जज' का काम करूंगा, 'वकील' का नहीं: राहुल गांधी

कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले भाषण में राहुल गांधी ने पार्टी के कामकाज में जबर्दस्त बदलाव के संकेत दिए. साथ ही इन आशंकाओं को भी दूर कर दिया कि जो लोग युवा नहीं हैं, उनकी अनदेखी की जाएगी. उन्‍होंने कहा, 'मैं जज का काम करूंगा, वकील का नहीं'.

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कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले भाषण में राहुल गांधी ने पार्टी के कामकाज में जबर्दस्त बदलाव के संकेत दिए. साथ ही इन आशंकाओं को भी दूर कर दिया कि जो लोग युवा नहीं हैं, उनकी अनदेखी की जाएगी. उन्‍होंने कहा, 'मैं जज का काम करूंगा, वकील का नहीं'.

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युवा कांग्रेस और एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेण्ट्स यूनियन आफ इंडिया) में सुधारों की लहर लाने वाले राहुल ने कांग्रेस महासमिति की बैठक में पार्टी के मूल संगठन के कामकाज को संचालित करने के लिए निश्चित नियम बनाने पर जोर दिया क्योंकि इस समय ऐसे कोई नियम नहीं हैं.

सबकी बातें सुनेंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, ‘पहले मैं युवा कांग्रेस और एनएसयूआई का प्रभारी एवं पार्टी महासचिव था. अब मैं कांग्रेस पार्टी का उपाध्यक्ष हूं. आपको यह नहीं महसूस करना चाहिए कि राहुल केवल युवाओं की बात करता है. राहुल के परिवार में अब सभी यानी कांग्रेस, युवा कांग्रेस और महिला कांग्रेस हैं.’ उन्होंने भावुकता से भरे अपने भाषण में कहा, ‘आज से राहुल गांधी सभी के लिए काम करेगा. मैं वायदा करना चाहता हूं कि मैं आपके साथ समानता का व्यवहार करूंगा चाहे वह युवा नेता हों, अनुभवी नेता हों या महिलाएं हों. मैं सबकी सुनूंगा.’ साथ ही राहुल ने कहा कि उनकी नई भूमिका (उपाध्यक्ष के रूप में) एक न्यायाधीश की होगी, वकील की नहीं.

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नेतृत्‍व के लिए कई नेता की जरूरत
नेतृत्व विकास पर ध्यान केन्द्रित करने की अपील करते हुए राहुल ने कहा कि कम से कम 40 या 50 ऐसे नेता तैयार रहने चाहिए, जो जरूरत पडने पर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन सकें. राहुल ने कहा, ‘हमें नेतृत्व के विकास पर ध्यान केन्द्रित करना है कि यह क्यों नहीं हो रहा है. चुनाव से पांच-सात साल पूर्व ही ऐसा हो जाना चाहिये कि जहां पीएम या सीएम की जरूरत हो तो उसके लिए पहले से ही कई लोग मौजूद रहे.’

राहुल गांधी ने कहा, ‘जैसा पहले हुआ करता था कि नेहरू, पटेल और मौलाना आजाद जैसे दर्जन भर नेताओं की जमात थी और उनमें से कोई भी पीएम बन सकता था. ये बात हमें पैदा करनी है कि 40 से 50 ऐसे नेता तैयार रहें जो जरूरत पडने पर पीएम या सीएम बन सकें.’ राहुल ने कहा कि हर जिले और हर राज्य स्तर पर ऐसी बात होनी चाहिए और अगर कोई पूछे कि कांग्रेस क्या करती है तो हम कह सकें कि कांग्रेस देश के लिए नेता तैयार करती है. धर्मनिरपेक्ष और जनता से जुडे नेता और लोगों की समस्याओं को समझने वाले नेता, नेतृत्व निर्माण के लिए ढांचे की जरूरत है.

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं होगी
राहुल गांधी ने शिकायती लहजे में कहा कि चुनाव में टिकट दिये जाते समय जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं से नहीं पूछा जाता. ऊपर से ही फैसला हो जाता है. दूसरे दल के लोग चुनाव से पहले आ जाते हैं. चुनाव हो जाते हैं और वो हारकर वापस चले जाते हैं. राहुल गांधी ने कहा, ‘हमारा कार्यकर्ता ऊपर देखता है और पैराशूट से कोई उम्मीदवार गिरता है. हमें यह स्थिति बदलनी है और सबसे पहले कांग्रेस कार्यकर्ता की इज्जत होनी चाहिए.’

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पार्टी उपाध्यक्ष ने कहा कि नेताओं की भी इज्जत होनी चाहिए यदि वे जनता के लिए काम करते हैं. हमें ऐसी व्यवस्था बनानी है कि यदि कोई नेता काम कर रहा है तो उसे आगे बढायें और अपने काम में सफल नहीं हो पा रहा है तो उसे एक दो बार टोकें और फिर दूसरे को मौका दें. उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारे लोग हमारे खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव में खडे हो जाते हैं. इस प्रवृति से भी सख्ती से निपटने की जरूरत है. जिस दिन हमने ये काम कर लिया हमारे सामने कोई खडा नहीं हो पाएगा.

निर्णायक की भूमिका में राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं सब कुछ नहीं जानता. दुनिया का कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो सब कुछ जानता हो. मैं पार्टी में जज का काम करूंगा, वकील का नहीं.’ राहुल ने कहा कि 1947 में भारत आजाद हुआ, आजादी हथियारों से नहीं बल्कि ‘आवाज’ से मिली. अन्य देशों ने आजादी की लडाई हिंसा और हथियारों से लडी लेकिन हमने अहिंसा से. सबने कहा ऐसा संभव नहीं होगा लेकिन हमने ब्रिटिश हुकूमत को अहिंसा के जरिए देश से भगा दिया.

राहुल गांधी ने कहा, ‘हमारी आजादी की लडाई की ऊर्जा थी आवाज. हम मुटठीभर लोग राजनीतिक क्षेत्र पर कब्जा किये हुए हैं. आम लोगों को इससे बाहर रखा है जबकि राजनीति पर कब्जा जमाये इन लोगों को समझ नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम ज्ञान की नहीं बल्कि पद की कद्र करते हैं. कितना ही ज्ञानी हो उसका मान नहीं होता लेकिन पद का मान होता है इसीलिए ज्ञान वालों को बाहर रखने का खेल खेला गया है.’

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राहुल ने कहा, ‘सब लोग ये पाखंड देख रहे हैं लेकिन ये ऐसा पाखंड है, जिसमें भ्रष्ट ही भ्रष्टाचार को खत्म करने की मांग करते हैं इसलिए जब तक ज्ञान का सम्मान शुरू नहीं होगा, ये व्यवस्था नहीं बदलेगी. जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते, वे महिलाओं के सम्मान की बातें करते हैं लेकिन अब युवा चुप नहीं रहने वाला है.’ उपाध्यक्ष चुने जाने पर राहुल ने कहा कि उन पर बहुत बडी जिम्मेदारी है.

'कांग्रेस पार्टी नहीं, परिवार है'
राहुल गांधी ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी नहीं बल्कि परिवार है. यह शायद दुनिया का सबसे बडा परिवार है, जिसमें हर कोई अंदर आ सकता है.’ उन्होंने सवाल किया कि इसमें बदलाव की जरूरत है या नहीं? जवाब में खुद ही बोले कि बदलाव जरूरी है लेकिन सबको साथ लेकर सोच समझकर और आपकी आवाज सुनकर ये काम करना है. ये बदलाव का काम जल्दबाजी में नहीं करना है. इसे बहुत ही सोच समझकर और बिना जल्दबाजी के गहरायी से करना है.

राहुल के भाषण के वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा पार्टी के तमाम वरिष्ठ एवं युवा नेता मौजूद थे. राहुल ने कांग्रेस को ‘बहुत मजेदार संगठन’ बताते हुए कहा, ‘ये चलता कैसे है, जीतता कैसे है, अन्य दलों को चुनाव में खत्म कैसे करता है, ये सब कैसे होता है, कोई नहीं जानता.’

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'कांग्रेस में हिंदुस्‍तान का डीएनए'
राहुल ने कहा कि ये गांधीजी का संगठन है और इसी में हिन्दुस्तान का ‘डीएनए’ है. विपक्ष इस बात को नहीं समझता. विपक्षी दलों में कोई दल एक जाति का तो कोई एक धर्म का लेकिन कांग्रेस में हर जाति, धर्म, क्षेत्र और समुदाय के लोग हैं. इसके डीएनए में जात पात और सांप्रदायिकता नहीं है .

उल्लेखनीय है कि राहुल को शनिवार को ही उपाध्यक्ष चुना गया है. दो दिवसीय चिन्तन शिविर के बाद कांग्रेस ने रविवार को ‘जयपुर घोषणा’ जारी की. राहुल के उपाध्यक्ष चुने जाने के बाद यह तय माना जा रहा है कि पार्टी में युवाओं की भागीदारी और बढेगी.

सोनिया व मनमोहन से गले मिले राहुल
अपने लगभग 40 मिनट के भाषण के बाद राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी से गले मिले और उसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भी गले लगे. कांग्रेस के अनेक नेता उनका अभिवादन करते और बधाई देते दिखे. कुछ नेता उनके गले लगते भी दिखाई पड़े.

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