कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के काम करने का ढंग इतना निराला है कि उनकी पार्टी के लोग भी समझ नहीं पाते कि वे अगला कदम क्या उठाएंगे. गुरुवार को युवा कांग्रेस के द्वारा आयोजित रैली में उन्हें ‘मोदी सरकार की 100 दिनों की विफलता’ विषय पर आकर भाषण देना था. दिल्ली में इस रैली को युवा आक्रोश का नाम दिया गया था और इसके लिए 4,000 युवा कांग्रेसी जंतर-मंतर पर इकट्ठे हुए लेकिन राहुल गांधी वहां पहुंचे ही नहीं. यह खबर इकोनोमिक टाइम्स ने दी है.
बताया जाता है कि युवा कांग्रेस ने पूरी दिल्ली में युवा आक्रोश रैली के पोस्टर लगाए गए थे. इस रैली में राहुल गांधी को मोदी सरकार से उसके सौ दिनों का हिसाब-किताब मांगना था. इस रैली के लिए युवा कांग्रेस ने बड़ा इंतजाम किया था और लगभग 4,000 कार्यकर्ता जंतर-मंतर पर इक्ट्ठे हुए और उन्होंने जमकर नारे लगाए लेकिन राहुल गांधी कहीं नहीं दिखे.
आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठियां भी बरसाईं. वे बैरिकेड तोड़कर आगे जाने की कोशिश कर रहे थे. बताया जाता है कि बाद में राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर आंदोलनकारियों को बधाई दी. लेकिन एक बड़े नेता ने कहा कि राहुल गांधी को इस रैली में नहीं जाना था. लेकिन युवा कांग्रेसियों का कहना था कि उनका पहले से वहां जाने का कार्यक्रम था.
अब कांग्रेस में इस पर बहस हो रही है कि राहुल को वहां जाना चाहिए था कि नहीं. कुछ वरिष्ठ कांग्रेसियों का कहना है कि राहुल को हल्के कार्यक्रमों में जाकर अपनी प्रतिष्ठा कम नहीं करनी चाहिए. जंतर-मंतर जैसी जगहों पर आंदोलन करने का कोई औचित्य नहीं है.