मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई और अन्य मुद्दों पर लोकसभा में संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तृणमूल कांग्रेस की योजना को वाम दलों से समर्थन नहीं मिला. वहीं, भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले.
तृणमूल कांग्रेस के इस प्रस्ताव की सफलता बहुत हद तक भाजपा, समाजवादी पार्टी और बसपा के रुख पर निर्भर करेगी. फिलहाल सपा और बसपा दोनों सरकार को अस्थिर करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं.
माकपा महासचिव प्रकाश करात ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा मानना है कि यह (अविश्वास प्रस्ताव) फिलहाल ज्यादा मददगार नहीं होगा. हर कोई जानता है कि संप्रग सरकार के पास संख्या बल है.’ करात ने यहां कहा, ‘अगर आप विफल होते हैं और प्रस्ताव गिर जाता है तो यह सरकार को अपनी सभी गलतियों को ढंकने में मदद प्रदान करेगा और यह इस बात का दावा करने में उसकी मदद करेगा कि उसके पास संसद का जनादेश है.’ भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने वस्तुत: करात के सुर में सुर मिलाया. उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि प्रस्ताव को किसका समर्थन हासिल है और क्या मुद्दे हैं.
हालांकि, मुख्य विपक्षी भाजपा ने सोमवार को अपनी रणनीति की घोषणा करने से इंकार कर दिया. अगर अविश्वास प्रस्ताव को सफल होना है तो भाजपा का समर्थन तृणमूल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है. फिलहाल सरकार को 545 सीटों वाली लोकसभा में तकरीबन 265 सांसदों का समर्थन हासिल है. इसमें द्रमुक के 18 सांसद भी शामिल हैं. समाजवादी पार्टी के (22) और बसपा के 21 सांसदों के समर्थन से यह आंकड़ा 300 पर पहुंच जाता है. बहुमत के लिए सरकार को लोकसभा में 273 सांसदों के समर्थन की जरूरत है.
बसपा और सपा ने साथ मिलकर या अलग से अब तक सरकार से समर्थन वापस लेने के प्रति संकेत नहीं दिया है.
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘हम भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक में कल इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे.’ बैठक कल लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर सुबह 11 बजे होगी. बाद में शाम में राजग की भी बैठक होगी जिसमें 22 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की जाएगी.
पार्टी के एक धड़े का हालांकि मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव जल्दबजी होगी क्योंकि लोकसभा में इसके सफल होने के लिए पर्याप्त समर्थन जुटाने के लिए जमीनी कार्य किए जाने की आवश्यकता है.
भाजपा का मानना है कि अगर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव गिर जाता है तो सरकार को अगले छह महीने के लिए संजीवनी मिल जाएगी और वह एफडीआई जैसे अहम आर्थिक सुधार करने के अपने हालिया फैसलों समेत अपने सभी कृत्यों को उचित ठहराएगी. सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कहा कि सरकार लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर देगी भले ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए या खुदरा कारोबार पर कोई अन्य भी प्रस्ताव लाया जाता है जिसमें मतदान कराने का प्रावधान हो.
पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम संख्या बल को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और जब भी इस तरह का प्रस्ताव आएगा तो हम लोकसभा में बहुमत साबित कर देंगे. हमारे पास 272 से अधिक सांसदों का समर्थन हैं’ साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की मुद्दे पर विश्वास मत हासिल करने की योजना नहीं है, जैसा 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु करार पर वाम दलों के समर्थन वापस लेने पर संप्रग 1 सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था.
दीक्षित ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के किसी भी प्रस्ताव पर 54 सांसदों का हस्ताक्षर होना चाहिए और इस बात का संकेत दिया कि बनर्जी को अविश्वास प्रस्ताव लाने के अपने कदम पर अन्य पार्टियों से समर्थन नहीं मिलेगा. गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में सिर्फ 19 सदस्य हैं.
जहां दीक्षित पार्टी मंच से ममता पर हमला बोलने से बचे वहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि संसद के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जब 19 सदस्यों वाली किसी पार्टी ने इस तरह का कदम उठाया हो.
तृणमूल ने उनके कदम का विरोध करने के लिए माकपा पर हमला किया. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति देने के सरकार के फैसले का वाम दलों की ओर से किया जा रहा विरोध झूठा है. उसने उम्मीद जताई कि सभी पार्टियां साथ आएंगी.
वरिष्ठ तृणमूल नेता सौगत राय ने कहा, ‘अगर माकपा ने हमारे प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया तो इसका मतलब होगा कि मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई का उसका विरोध झूठा है.’ उन्होंने कहा कि यह मुद्दा करोड़ों लोगों से जुड़ा है और यह सांप्रदायिकता या धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा नहीं है.