नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन भी पश्चिम बंगाल में जय श्री राम के नारे पर चल रहे विवाद में कूद गए हैं. कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को अमर्त्य सेन ने कहा है कि इस नारे का इस्तेमाल अब लोगों को पीटने के लिए होता है. अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सेन ने कहा कि उनके विचार जय श्री राम नारे का बंगाल की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है.
अमर्त्य सेन ने कहा कि आजकल कोलकाता में रामनवमी ज्यादा मनाया जाता है जो उन्हें पहले देखने को नहीं मिलता था.अमर्त्य सेन ने कहा कि जय श्री राम का नारा अब लोगों को पीटने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल होता है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों से जय श्री राम का नारा राजनीतिक बहस के दायरे में आ गया है. राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि बीजेपी लोगों का धुव्रीकरण करने और साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने के लिए इस नारे का इस्तेमाल कर रही है. लोकसभा चुनाव से लेकर हाल तक की बीजेपी की रैलियों सभाओं में जय श्री राम का नारा प्रमुखता से लगाया जाता रहा है.
Nobel laureate Amartya Sen: I asked my four-year-old grandchild who is your favourite deity? She replied, 'Maa Durga'. The significance of Maa Durga can't be compared with Ram Navami. (July 5) https://t.co/pnXqrNNjTi
— ANI (@ANI) July 6, 2019
अमर्त्य सेन ने कहा कि एक बार उन्होंने अपनी चार साल की पोती से पूछा कि उसकी पसंदीदा देवी कौन है? इस पर उस बच्ची का जवाब था-मां दुर्गा. अमर्त्य सेन ने कहा कि मां दुर्गा की जो अहमियत है उसकी तुलना रामनवमी से नहीं की जा सकती है.
अमर्त्य सेन ने कहा कि मां दुर्गा हमारी जिंदगी में मौजूद हैं, मुझे लगता है कि जय श्री राम जैसे नारों को लोगों पर हमला करने के लिए आड़ के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.