अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि नोटबंदी एक जल्दबाजी में लिया गया फैसला है और इसके बारे में ठीक से विचार नहीं किया गया. सेन ने कहा कि अमेरिका, चीन, जापान, फ्रांस, इंग्लैंड से बड़े देशों में भी कैश और प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल होता है. लेकिन सवाल ये है कि अर्थवय्वस्था का कितना फीसदी हिस्सा वाकई में कैशलेस बन सकता है. उन्होंने का अगर इसकी गहराई में जाया जाए तो मुझे ऐसा नहीं लगता.
दुनियाभर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य करने वाले सेन ने कहा कि मेरा मानना है कि कोई भी अर्थव्यवस्था पूरी तरह कैशलेस नहीं हो सकती. जमीनी स्तर पर केश का इस्तेमाल करना ही पड़ता है. उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि नोटबंदी का फैसला लेते वक्त सभी पहलुओं पर ठीक से विचार किया गया है. इससे आने वाले वक्त में जनता की मुश्किलें और बढ़ेगी.