उच्च न्यायालय की समय सीमा को देखते हुए अधिकारियों तथा बिल्डरों ने क्षेत्र में भू अधिग्रहण से प्रभावित किसानों से बातचीत शुरू की और उन्हें सालाना पेंशन, नकदी प्रोत्साहन तथा अन्य छूटों की पेशकश की.
किसानों ने अपनी भूमि के अधिग्रहण को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है और अदालत ने मामले को सुलझाने के लिए 12 अगस्त की समयसीमा निर्धारित की है. गेट्रर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकार (जीएनआईडीए) के अधिकारियों ने बताया कि अथारिटी ने प्रभावित किसानों तथा उनके नेताओं के साथ विचार विमर्श किया है.
अधिकारियों ने नयी पुनर्वास नीति तथा लाभों के बारे में उन्हें बताया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि किसानों के बाद 12 अगस्त तक अदालत से बाहर मामले को निपटाने का विकल्प है. इसके बाद उनकी याचिकाओं की वृहत खंडपीठ में सुनवाई होगी.
अधिकारियों ने कहा कि नयी योजना के तहत भूमि मुआवजे के साथ किसानों को 33 साल के लिए 23,000 रुपये प्रति एकड़ सालाना पेंशन मिलेगी. किसान अगर चाहें तो पेंशन की राशि एकमुश्त भी ले सकते हैं. उन्होंने कहा, 'यह दर 2.76 लाख रुपये प्रति एकड़ रहेगी.' अनेक किसानों का मानना है कि उनकी भूमि खेतीबाड़ी के लायक नहीं रही है लेकिन बिल्डरों के साथ बातचीत में चौकन्ने हैं.
अपनी परियोजनाओं पर अनिश्चितता के बादल मंडराते देख बिल्डरों ने किसानों से संपर्क के लिए एजेंट नियुक्ति किए हैं. बिल्डरों ने प्रति वर्ग मीटर 2000-3000 रुपये अतिरिक्त राशि की पेशकश की है.' एक किसान सुखविंद भट्टी ने बताया, 'हालांकि, हमारे आबादी भूमि विवाद को केवल अथारिटी सुलझा सकती है इसलिए किसान चाहते हैं कि सीधे बिल्डरों से बातचीत के बजाय अधिकारियों के जरिए चर्चा हो.'
एक अन्य किसान राजकुमार ने कहा, 'हम शहर के विकास में रोड़ा खड़ा नहीं करना चाहते. हम भी विकास चाहते हैं लेकिन हमारी मुख्य चिंता है कि फायदे में हमें भी हिस्सेदारी मिले.' एक अन्य किसान तेज सिंह ने कहा कि शाहबेरी के अलावा अन्य गांवों के अधिकांश किसानों ने आपसी समझौते से भूमि मुआवजा लिया था और वे निपटान को वरीयता दे रहे हैं.
किसानों ने दर्जन भर गांवों की 3000 हेक्टेयर से अधिक भूमि के अधिग्रहण को चुनौती दी है. इस बीच नोएडा के अध्यक्ष बलविंदर कुमार ने किसानों को रजामंद करने के अभियान के तहत सदरपुर सहित कई गांवों का दौरा किया.
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं m.aajtak.in पर.