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नोएडा एक्‍सटेंशन का टेंशन अब भी बरकरार!

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने जहां एक ओर पतवारी के किसानों के साथ समझौते का एलान किया है, वहीं इलाके में इसके खिलाफ भी आवाजें उठने लगी हैं.

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ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने जहां एक ओर पतवारी के किसानों के साथ समझौते का एलान किया है, वहीं इलाके में इसके खिलाफ भी आवाजें उठने लगी हैं.

समझौते से असहमत किसान आज बादलपुर में महापंचायत करेंगे, जहां जिले के कई गाँवों के लोग पहुंचनेवाले हैं. नाराज किसानों का कहना है कि प्राधिकरण ने मुट्ठी भर किसानो की समिति बनाकर कर भले ही समझौता कर लिया है लेकिन जमीन उनकी है और वो किसी कीमत पर नहीं देंगे. किसानों को कोर्ट के फैसले का भी इंतजार है.

इस बीच, किसानों की जमीन का मुआवजा 850 रुपये से बढ़ाकर 1400 रुपये प्रति वर्ग मीटर किया जाएगा. इसी तरह विकसित जमीन में किसानों का हिस्सा 6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी किया जा रहा है. आबादी वाली जमीन से अधिग्रहण भी हटाया जाएगा.

अथॉरिटी ने ये वादा भी किया है कि भूमिहीनों को 40 मीटर के प्लॉट दिए जाएंगे. उस जमीन पर खोले जानेवाले स्कूल-कॉलेजों में गरीब बच्चों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. अथॉरिटी ने गांव में स्पोर्ट्स सेंटर और आईटीआई खोलने का भी वादा किया है.

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हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक ग्रेटर नोएडा अथारिटी को किसानों से समझौते के लिए 12 अगस्त तक का समय दिया गया है. ऐसा नहीं होने पर हाईकोर्ट 17 अगस्त को इस मामले में फैसला सुना देगा.

उधर, ग्रेटर नोएडा के बिसरख गाँव में अधिग्रहण के खिलाफ आस पास के 25 गाँवों के किसानों ने महापंचायत की और प्राधिकरण को जमीन नहीं देने का फैसला किया.

किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण उनके साथ धोखा क़र रहा है. किसान काफी नाराज हैं और उन्होंने प्राधिकरण के साथ समझौता नहीं करने का एलान किया है.

जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर किसानों के साथ समझौते की नोएडा प्राधिकरण की कोशिशों को भी झटका लगनेवाला है.

नोएडा के मोरना गाँव मे पंचायत कर किसानो ने नए सिरे से आन्दोलन की रणनीति तैयार की है. अपनी मांगों को लेकर किसान आर-पार के मूड में हैं. 54 गांवों के किसानों ने 10 अगस्त को नोएडा में मार्च निकालने का फैसला किया है. किसानो की माने तो प्राधिकरण ने लगातार उन्हे ठगा है.

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