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नतीजे कुछ भी हों, पूर्वोत्तर का कांग्रेस मुक्त होना तय?

त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ी परेशानी साबित होंगे. इन तीन राज्यों में कांग्रेस ने 2003 से लगातार मेघालय में सरकार बनाया है तो बाकी दो राज्य त्रिपुरा और नगालैंड में वह एक दशक से लंबे समय से राज्यों की दूसरे नंबर की पार्टी बनी रही.

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क्या कांग्रेस मुक्त पूर्वोत्तर से अब बढ़ेगी राहुल की चुनौती
क्या कांग्रेस मुक्त पूर्वोत्तर से अब बढ़ेगी राहुल की चुनौती

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त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ी परेशानी साबित होंगे. इन तीन राज्यों में कांग्रेस ने 2003 से लगातार मेघालय में सरकार बनाया है तो बाकी दो राज्य त्रिपुरा और नगालैंड में वह एक दशक से लंबे समय से राज्यों की दूसरे नंबर की पार्टी बनी रही. आज के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी न सिर्फ मेघालय में अपनी सरकार गंवाने की स्थिति में है बल्कि बाकी दो राज्यों में भी वह प्रमुख विपक्षी दल होने का तमगा गंवा चुकी है.

बीजेपी ने त्रिपुरा में कांग्रेस को हाशिए पर ढकेलते हुए लेफ्ट पार्टी को करारी शिकस्त देने का काम किया. कांग्रेस त्रिपुरा में खाता खोलने में भी सफल नहीं हो पाई. वहीं मेघालय में कांग्रेस अब सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है. इसके साथ ही नगालैंड में भी कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर सिमट कर रह गई.

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मेघालय के नतीजे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनौती को बढ़ा रहे हैं. बीते तीन चुनावों के दौरान इस राज्य में कांग्रेस ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है. 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने क्रमश: 22, 25 और 29 सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस सरकार बनाने में सफलता पाई है.

इसे पढ़ें: पूर्वोत्तर की राजनीति को बदल देंगे तीन राज्यों के आज के चुनावी नतीजे

लेकिन राहुल गांधी की अध्यक्षता में राज्य के पहले चुनावों में कांग्रेस के आंकड़े बुरी तरह बिगड़ गए हैं. भले कांग्रेस 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई है लेकिन 18 निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत, 14 सीट पर नई बनी नेशनल पीपुल्स पार्टी की जीत और 6 सीटें बीजेपी के हाथ लगने के बाद कांग्रेस के लिए अब गठजोड़ के जरिए जादुई आंकड़ा पार करना लगभग नामुमकिन है.

त्रिपुरा में कांग्रेस अपना खाता भी खोलने में सफल नहीं हो पाई है. इसके विपरीत सत्तारूढ़ सीपीआई(एम) को कांटे की टक्कर देते हुए बीजेपी गठबंधन ने न सिर्फ उसे भारी शिकस्त दी बल्कि लेफ्ट को 20 सीटों के नीचे 16 सीटों पर समेट दिया. लिहाजा, यह नतीजा भी राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के पक्ष में नहीं है और साफ संकेत है कि देश में विचारधारा कि लड़ाई में भी वामपंथ के मुकाबले बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा प्रभावी माना जा रहा है.

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