बीजेपी नेता अरुण जेटली की जासूसी के मामले में गृहंमत्री सुशील
कुमार शिंदे ने शुक्रवार को संसद में बयान दिया. उन्होंने बताया कि जांच
में पता चला है कि अरुण जेटली की कॉल डिटेल्स गैरकानूनी तौर पर निकलवाई
गईं. लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि उनकी फोन टैपिंग भी हो रही
थी.
गृह मंत्री ने कहा कि वह अनधिकृत रूप से कॉल डाटा रिकार्ड हासिल करने के मामले की तह तक जायेगी और यथाशीघ्र सत्य को सामने लायेगी.
गृह मंत्री ने जेटली का फोन अनधिकृत रूप से टैप किये जाने के मामले में सदन में दिये गये बयान में कहा कि दिल्ली पुलिस की छानबीन से पता चला है कि यह टैपिंग नहीं बल्कि कॉल डाटा रिकार्ड तक पहुंचने का मामला है. इसमें किसी फोन पर आये काल और उससे किये गये कॉल के नंबरों का डाटा लिया जाता है.
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने इस मामले में पुलिस से रिपोर्ट देने को कहा था. दिल्ली पुलिस ने बताया कि एयरटेल के नोडल अधिकारी के पास दिल्ली पुलिस के सहायक पुलिस अधीक्षक (अभियान) के ईमेल आईडी से किसी व्यक्ति ने जेटली के कॉल डाटा रिकार्ड मंगवाये थे. नोडल अधिकारी ने इस अनुरोध की जब पुलिस से पुष्टि करने को कहा तो पता चला कि ऐसा कोई अनुरोध अधिकृत रूप से भेजा ही नहीं गया. इस लिए जेटली के कॉल डाटा रिकार्ड का खुलासा भी नहीं किया गया.
शिंदे ने बताया कि पांच सेल नंबरों के कॉल डाटा रिकार्ड अनधिकृत रुप से मांगने के मामले में पुलिस ने 14 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज की. उन्होंने बताया कि छानबीन से पता चला कि संसद मार्ग थाने में तैनात सिपाही अरविन्द कुमार डबास के आईपी एड्रेस से यह ईमेल भेजी गयी थी. यह सिपाही एक साल से अनधिकृत रूप से ड्यूटी से गैर हाजिर था.
शिंदे ने बताया कि सिपाही डबास से की गयी पूछताछ में पता चला कि उसने पिछले छह-आठ माह से एसीपी अभियान की सरकारी ईमेल आईडी तक गैरकानूनी ढंग से पहुंच बना रखी थी. पूछताछ में डबास ने बताया कि उसने 1500 रूपये प्रति काल रिकार्ड और 200 रूपये प्रति ग्राहक विवरण की दर से एक स्वतंत्र जासूस नीरज नायर की मांग पर विभिन्न लोगों की कॉल डाटा रिकार्ड और ग्राहक विवरण प्राप्त करने के लिए ऐसा किया. उन्होंने बताया कि डबास से यह पता चला कि नायर की गाजियाबाद में डिटेक्टिव एजेंसी इंडिया नामक एक प्राइवेट एजेंसी है. उसने पूर्व में नायर को 10-15 अवसरों पर विभिन्न लोगों के काल विवरण उपलब्ध कराये थे.
गृह मंत्री के अनुसार नीरज ने खुलासा किया कि वह इन कॉल डाटा रिकार्ड को दिल्ली के उत्तम नगर निवासी नीतीश को दिया करता था. नीतीश डॉ. अनुराग सिंह की वी डिटेक्ट नामक जासूसी एजेंसी में काम करता था. नीरज को इस मामले में 16 फरवरी को गिरफ्तार किया गया.
उन्होंने बताया कि डबास और नीरज के खुलासों के आधार पर नीतीश और डॉ. अनुराग सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
शिंदे ने कहा कि चारों गिरफ्तार व्यक्तियों से पूछताछ गयी और अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. मामले की छानबीन चल रही है.
गृह मंत्री ने कहा कि संसद सदस्यों के फोन टैपिंग से पहले लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति से अनुमति लेने के सदस्यों के सुझाव पर सरकार विचार करेगी.